गोविंद पटेल, कुशीनगर. एक तरफ सरकार नदी, नालों, तालाबों के जल संरक्षण के लिए कई योजनाएं चला रही है ताकि भविष्य में जल संकट की समस्या से निजात मिल सके, लेकिन वहीं ग्राम पंचायत में बना अमृत सरोवर नगर पंचायत बनते ही इसे नगर पंचायत के कूड़े कचरे से भरा जा रहा है. जिससे पोखरें के अस्तित्व अब समाप्त होने के कगार पर है. एक तरफ स्वच्छता पखवाड़ा चल रहा है, लेकिन स्वच्छता पखवाड़ा की पोल खोलती यह तस्वीर बयां कर रही कि स्वच्छता को लेकर जिम्मेदार कितनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

मामला नगर पंचायत रामकोला के वार्ड नंबर 8 का है जहां यह वार्ड पहले इंद्र सेनवा ग्राम पंचायत था. वहीं रामकोला नगर का विस्तारीकरण होते ही इसे नगर में सामिल किया गया है. जिसमें ग्राम पंचायत में स्कूल के बगल में स्थित पोखरा जो अमृत सरोवर था और मनरेगा योजना से पोखरे की खूदाई कराई गई ताकि भविष्य में जल संकट की समस्या न उत्पन्न होने पाए, लेकिन नगर पंचायत बनते ही इस पोखरे की सुरत ही बदल दी गई है. यह पोखरा पूरी तरह से शहर के कूड़े-करकट से पाट दिया गया है. नगर पंचायत के स्वच्छता की यह तस्वीर नगर के स्वच्छता पर सवाल खड़ा कर रही है. वहीं कूड़ा निस्तारण के लिए बना एमआरएफ सेंटर धूल फांकता नजर आ रहा है और स्वच्छता केवल कागजी आंकड़ों में चलता नजर आ रहा है.

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नगर वासियों की माने तो नगर पंचायत क्षेत्र में जगह-जगह सड़कों के किनारे नदी नालों में कूड़े फेंके जा रहे हैं. जिसके चलते उस रास्ते से गुजरते ही बदबू का सामना करना पड़ता है. वहीं इससे प्रदूषण से बिमारियों के फैलने का डर है. अब देखने वाली बात होगी कि नगर पंचायत जगह-जगह इन कूड़ों के ढेर से नगर वासियों को कब निजात दिलाता है. या इसी तरह सड़कों के किनारे कूड़ों का ढेर लगा रहता है.

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