Tatenda Taibu Story: जिम्बाब्वे के विकेटकीपर ततेंदा तायबू की कहानी बेहद दिलचस्प है. इन दिनों वह इंग्लैंड के लिवरपूल के नजदीक अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ रहते हैं.
Tatenda Taibu Story: इंटरनेशनल क्रिकेट में कई कहानियां हैं. हर कहानी का एक किरदार है. 147 साल के इतिहास में कई खिलाड़ी आए और गए…हम आपके लिए उस धुरंधर की कहानी लेकर आए है, जिसने 16 साल की उम्र में फर्स्ट क्लास डेब्यू किया, फिर 20 साल की उम्र में नेशनल टीम का कप्तान बना और 29 साल की उम्र में संन्यास लेकर धर्मगुरु बन गया. इस क्रिकेटर की कहानी बेहद दिलचस्प है.
कहानी ततेंदा तायबू की…
ये कहानी है जिम्बाब्वे के ततेंदा तायबू की है, 5 फुट 5 इंच वाले तायबू उन चुनिंदा खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्हें बहुत जल्द सब कुछ मिला. क्रिकेट में ऐसा सभी के साथ नहीं होता. इस क्रिकेटर ने 16 साल की उम्र में फर्स्ट क्लास क्रिकेट डेब्यू किया. फिर 2 साल बाद 18 साल की उम्र में नेशनल टीम में एंट्री कर ली. फिर 2 साल बाद यानी 20 की उम्र में कप्तान बनकर इतिहास रच दिया.
2001 में डेब्यू, 3 साल बाद बने कप्तान
ततेंदा तायबू ने वेस्टइंडीज के खिलाफ साल 2001 में वनडे से इंटरनेशनल करियर की शुरुआत की थी. 19 जुलाई 2001 को जब उन्होंने जिम्बाब्वे के लिए पहला टेस्ट खेला था तो उन्हें भी अंदाजा नहीं था कि करीब 3 साल बाद वो इसी टीम के कप्तान बन जाएंगे. जब साल 2004 में जिम्बाब्वे के कुछ खिलाड़ियों बगावत की तो इसका फायदा तायबू को मिला.
कप्तानी में बनाया था वर्ल्ड रिकॉर्ड
विकेटकीपर बल्लेबाज ततेंदा तायबू ने 6 मई 2004 को बतौर कप्तान अपना पहला टेस्ट मुकाला खेला था. तायबू जिम्बाब्वे के पहले अश्वेत कप्तान थे. उस वक्त उनकी उम्र महज 20 साल 358 दिन है. उन्होंने सबसे कम उम्र में टेस्ट कप्तान बनने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था, जो बाद में राशिद खान ने तोड़ा.
18 महीने में कप्तानी छोड़ी
ततेंदा तायबू ने महज 18 महीने में कप्तानी छोड़ना का फैसला किया था. करीब 11 साल उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट खेला और 2012 में अचानक इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेकर सभी को चौंका दिया था. जब उन्होंने संन्यास लिया तो उनकी उम्र 29 साल थी. उस वक्त उन्होंने बताया था कि वो चर्च को अपना पूरा समय देना चाहते हैं. धर्म को जीवन समर्पित करने के लिए उन्होंने क्रिकेट छोड़ने का फैसला किया था.
ततेंदा तायबू का क्रिकेट करियर कैसा रहा?
ततेंदा तायबू का क्रिकेट करियर बढ़िया रहा है. उन्होंने 28 टेस्ट मैचों में 1 शतक के दम पर कुल 1546 रन बनाए थे. 150 वनडे में 2 शतक के साथ 3393 रन किए हैं. क्रिकेट से संन्यास के बाद वो जिम्बाब्वे क्रिकेट में मुख्य चयनकर्ता भी बने.