दिल्ली. व्हाट्सएप एक ओर जहां अफवाह फैलाने के लिए बदनाम हो रहा है, वहीं दूसरी ओर यह लोगों के मिलाने का भी काम कर रहा है। व्हाट्सएप की वजह से ही 20 साल पहले लापता हुआ महावीर सिंह चौहान आज अपने परिवार के पास पहुंच गए हैं।

राजस्थान के एक बड़े घराने से आने वाले महावीर सिंह धातु कारोबारी थे जिसमें उन्हें भारी घाटा हुआ और फिर 1998 में वो मुंबई से लापता हो गए। घर के बड़े लोगों से अपमानित होने के डर से वो राजस्थान के झालौर जिले के झाब इलाके में अपने घरवालों को बिना कुछ बताए बेंगलुरु चले गए। वहाँ गुलाबों की खेती के लिए भारत भर में मशहूर डोडाबल्लापुर में उन्होंने ड्राइवर, फोटोग्राफर का काम किया और बाद में एक गुलाब फार्म में सुपरवाइजर के पद पर काम करने लगे।

पिछले सप्ताह शनिवार की सुबह उनके सहकर्मी रवि ने उन्हें जमीन पर गिरा पड़ा देखा। उनका दायाँ हाथ और पैर काम नहीं कर रहे थे। रवि ने तत्काल महावीर सिंह के पुराने दोस्त किशोर सिंह दफ्तरी से संपर्क किया जो एक फोटोग्राफर हैं। रवि महावीर को पास के एक अस्पताल ले गए जिसने उन्हें नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेन्टल हैल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (निमहांस) रेफर कर दिया। दफ्तरी कहते हैं, “वह पिछले कुछ हफ्तों से कमजोर हो गए थे और उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। उन्होंने पीठ दर्द की शिकायत की थी और शायद इस वजह से रात में वह गिर गए।” इस बीच किशोर सिंह दफ्तरी को महावीर के एक और दोस्त से उनका ड्राइविंग लाइसेंस मिला जिस पर उनके पिता का नाम लिखा था और साथ ही यह जानकारी भी थी कि वो जालौर के रहने वाले हैं।

किशोर ने इसके बाद एक और दोस्त से संपर्क किया जो जालौर से थे। उन्होंने कहा, “हमने राजस्थान समाज नाम के एक ग्रुप पर शनिवार शाम को मैसेज किया और दस मिनट के भीतर हमारे पास कॉल आने लगे और आख़िर में उनके बेटे प्रद्युम्न ने कॉल किया।” किशोर ने बताया कि इसके बाद रात भर महावीर के रिश्तेदारों के फोन आते रहे और रविवार को प्रद्युम्न सिंह ने निमहांस में अपने पिता के पैर छुए। उन्होंने आखिरी बार जब अपने पिता को देखा था तब वो मात्र चार साल के थे। पिता के लापता होने के समय उनका एक छोटा भाई भी था जो तब केवल एक साल का था। प्रद्युमन का कहना है कि महावीर के भाव ऐसे थे जिनके बारे में वह कह नहीं सकते। वह अपने पिता को देखकर भावुक और निःशब्द हो गए थे।

प्रद्युम्न कहते हैं, “मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं। हमने उनसे मिलने की उम्मीद कभी नहीं छोड़ी थी। यह बहुत बड़ी बात है हमारे लिए। उन्होंने मुझे पहचाना है।” वह कहते हैं, “इन सारे वर्षों में मैंने कभी अपनी मां से कुछ नहीं कहा। हमें पता था कि क्या हुआ था।” महावीर सिंह फिलहाल बेंगलुरु के अपोलो अस्पताल के आईसीयू में हैं जहाँ उनका इलाज चल रहा है।