विक्रम मिश्र, लखनऊ. उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुलखन सिंह ने पोस्ट कर पुलिस अधिकारियों को चेताया है. दबाव डालकर जो सरकार या अधिकारी फर्जी मुठभेड़ करवाते हैं, फंसने पर कोई मदद नहीं करते हैं. पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा कि जो सरकारें और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपने अधीनस्थों पर नाजायज दबाव डालकर फर्जी मुठभेड़ करवाते हैं, वे फंसने पर कोई मदद नहीं करते हैं.

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आगे पूर्व डीजीपी ने कहा, जब मुकदमा सजा के लेवल पर आता है, तब तक ये पुलिस अधिकारी बूढ़े और रिटायर्ड हो चुके होते हैं. कोई आगे पीछे नहीं होता है. इन्हें उनकी किस्मत के भरोसे छोड़ दिया जाता है. पुलिस अधिकारी नहीं चेते, तो बाल-बच्चे तक रोएंगे. नैतिकता का तकाजा है कि पुलिस स्वयं अपराधी न बने. प्रयागराज में फर्जी एनकाउंटर पर 12 पुलिस कर्मियों पर FIR का जिक्र भी किया. सुलखान सिंह 2017 में बनी भाजपा सरकार के पहले डीजीपी बनाए गए थे.

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भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा है कि प्रमोशन और पैसे के लिए यूपी पुलिस एनकाउंटर कर रही हैं.
मैं पहले भी पुलिस कर्मियों को फर्जी मुठभेड़ों पर आगाह कर चुका हूं. गाजीपुर के एक मामले में घटना के 22 वर्ष बाद पुलिस कर्मियों को सजा सुनाई गई थी.

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एक पोस्ट में सुलखान सिंह ने कहा कि पहले लिखा था कि किस तरह जनपद सीतापुर की एक मुठभेड़ के मामले में घटना के 25 वर्ष बाद पुलिस कर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और एक-एक करके कई पुलिस अधिकारी केन्द्रीय कारागार बरेली में मरते रहे लेकिन अदालतों से उनकी जमानत नहीं हुई.लगभग ढाई सौ पुलिस अधिकारी जेलों में सड़ रहे हैं. इन्हें कोई मदद करने वाला या बचाने वाला नहीं होता है.

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पीलीभीत जनपद में खूंखार आतंकवादियों को मुठभेड़ में मारने वाले 45 पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद की सजा हुई. उस समय भी भाजपा सरकार थी. वर्तमान भाजपा सरकार ने बार-बार गुहार लगाने के बाद भी इन बूढ़े और रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों की सजा माफ नहीं की. हाईकोर्ट से भी जमानत नहीं हुई.

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