आगरा. भगवान श्रीकृष्ण का बाल स्वरूप लोगों को खूब भाता है. इन दिनों लड्डू गोपाल को लेकर घुमने का चलन शुरु हो गया है. चाहे वो तीर्थ हो, या शॉपिंग मॉल हो या भागवत कथा हो. बाल गोपाल को अपने साथ लिए माताएं कई माताएं लड्डू गोपाल को अपने बेटे की तरह दुलार कर रही हैं. कई माताएं उनको अपने साथ घुमाती हैं. कई उन्हें खरीदारी भी कराती हैं. अब एक नया मामला सामने आया है. जहां तीन बाल गोपाल एक परिवार में बेटे के रूप में रह रहे हैं. इनकी देखभाल देवरानी-जेठानी कर रही हैं.
मामला आगरा का है. यहां एक परिवार में तीन बाल गोपाल हैं. इन तीनों बच्चों के नाम केशव, माधव और राघव है. इनमें से केशव सबसे बड़े हैं. जो 25 सितंबर को ही 5 साल के हुए हैं. वर्तमान में वे नर्सरी में पढ़ रहे हैं. इतना ही नहीं प्ले ग्रुप में केशव को 98 प्रतिशत से भी ज्यादा अंक मिले हैं. बाल गोपाल को अपना लाला मानने वाली अल्का अग्रवाल बताती हैं कि उनकी सहेली ने पांच साल पहले 25 सितंबर को उन्हें ये बाल गोपाल दिए थे. एक दिन वो उनके घर पर आईं. सहेली ने देखा कि ठंड में भी लाला ने गर्मियों वाले कपड़े पहने हैं. इस पर सहेली ने अल्का को चिल्लाया. इस पर अल्का हंसने लगी और बोलीं कि ये तो ईश्वर हैं इन्हें कहां ठंड लगती है. जिस पर सहेली ने कहा कि हां ये छोटा सा बच्चा है. इन्हें भूख, प्यास, ठंड सब लगती है. तब से अल्का ने लड्डू गोपाल को अपना लाला मान लिया.
बड़े भाई के साथ लड़ते हैं माधव, छोटे के साथ करते हैं मस्ती
घर की दूसरी महिला बताती हैं कि उनके बेटे जिनका नाम माधव है, वे तीन साल के हो गए हैं. वे कभी अपने बड़े भाई यानी केशव से लड़ते हैं, तो कभी राघव के साथ मस्ती करते हैं. अगले साल 25 दिसंबर को वे चार साल के हो जाएंगे और बड़े भाई के साथ स्कूल भी जाएंगे.
ईश्वर में देखा बालक
इन बाल गोपालों की तीसरी मइया का नाम है रीमा बंसल है. इनके लाला का नाम राघव है. जो कि बसंत पंचमी के दिन इनकी गोद में आए थे. ये अभी घर के सबसे छोटे बेटे हैं. इनकी उम्र दो साल की है. जो 25 फरवरी को तीन साल के हो जाएंगे. वे बताती हैं कि ठंड का समय था, सभी आंगन में बैठे थे तभी चाचीजी ने आकर मेरी गोद में इन्हें दे दिया और कहा कि अब इनकी देखभाल तुम करो. रीमा कहती हैं कि बच्चों में तो सब ईश्वर को देखते हैं, लेकिन हमने ईश्वर में बालक देखा है. इसी भाव से हम इनका लालन पालन करते हैं.
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