विक्रम मिश्र, लखनऊ. गांधी जयंती के दिन उत्तर प्रदेश को गरीबी से मुक्ति दिलाने का संकल्प मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया है. जिसको लेकर सरकारी आदेश भी जारी कर दिया गया है. यूपी को देश का पहला ‘जीरो पॉवर्टी स्टेट’ यानी गरीबी मुक्त प्रदेश बनने वाला है. गरीबी उन्मूलन के इस सबसे बड़े अभियान को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने आदेश जारी कर मानकों को तय किया है, जिसके तहत ही कार्य किए जाएंगे. इसके तहत हर ग्राम पंचायत स्तर पर अधिकतम 25 निर्धन परिवारों का चयन किया जाएगा. इसमें श्रमिक, आर्थिक रूप से बहुत कमजोर परिवार, भूमिहीन परिवार, कच्चे मकान में रहने वाले और गृहहीन परिवारों की सूची तैयार करने के लिए जिले में कार्यरत अधिकारियों को आदेश दिया जा चुका है, जबकि इस महाअभियान को एक वर्ष में पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है.

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बता दें कि अभियान के तहत चयनित सभी निर्धन परिवारों को भोजन और वस्त्र के साथ-साथ गुणवत्तापरक शिक्षा, चिकित्सा एवम मकान की सुविधा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही निर्धन परिवारों को सुनिश्चित आय से जोड़ने की व्यवस्था भी सरकारी अधिकारी ही करवाएंगे. कार्ययोजना के मुताबिक अभी ग्राम पंचायत के निर्धनतम 10 से 25 परिवारों के विषय में सूचना एकत्रित की जानी है. निर्धनतम परिवारों के चयन के लिए त्रिस्तरीय तथा हाइब्रिड पद्धति का उपयोग होगा.

इन मानकों पर होगा चयन

मॉप-अप मोबाइल एप पर निर्धनतम परिवारों की पहचान की जाएगी. चयन में चार मानकों को आधार माना गया है. पहला गृहविहीन, कच्चा मकान, दूसरा भूमिहीन वे परिवार जिनका कृषि परक आजीविका के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है. तीसरा, दिहाड़ी, कृषि मजदूरी पर आश्रित वे परिवार जिनकी अनिश्चित तथा अनियमित आय है. चौथा जिन परिवारों में आर्थिक संसाधनों की कमी है और परिवार में हमेशा खाने और पहनने की तंगी रहती है. ग्राम स्तरीय कर्मचारियों, कैडर के माध्यम से ऐसे सभी परिवारों का चिह्नीकरण तथा मॉप-अप मोबाइल एप पर परिवार की वांछित सूचनाओं की एंट्री की जाएगी.

समिति के ज़रिए निगरानी होगी

दूसरे चरण में हर ग्राम पंचायत में एक ग्राम स्तरीय समिति गठित की जाएगी, जिसके पांच सदस्य होंगे. इनमें ग्राम प्रधान, पूर्व ग्राम प्रधान, विद्यालय के हेड मास्टर एवम दो स्वयं सहायता समूह के अध्यक्ष शामिल हैं. तीसरे चरण में कैडर के चिह्नीकरण तथा ग्राम स्तरीय समिति के प्रस्ताव के बाद डिजिटल सिस्टम पर परिवार की अभावग्रस्तता का स्तर और असक्षमता के तहत आटोमेटेड रेटिंग प्रदान की जाएगी. मुख्य सचिव के स्तर पर गठित समिति द्वारा भौतिक परीक्षण कराए जाएंगे. जनपद स्तर पर इस योजना के क्रियान्वयन के लिए संबंधित मुख्य विकास अधिकारी नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे.

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