Dinesh Gundu Rao On Vinayak Damodar Savarkar: कर्नाटक (Karnataka) के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडुराव के वीर सावरकर पर एक दावे ने देश की राजनीति में कोहराम मचा दिया है। दिनेश गुंडुराव ने दावा किया कि वीर सावरकर ब्राह्मण थे लेकिन वे खुलेआम गोमांस (Beef) खाते थे और इसका प्रचार भी करते थे। उन्होंने कभी गोहत्या का विरोध नहीं किया। इस विषय पर वह काफी मॉर्डन थे। एक तरफ उनकी सोच कट्टरवादी थी।

‘देश के पिता नहीं…’, महात्मा गांधी पर कंगना रनौत के पोस्ट ने सियासी गलियारे में मचाया बवाल- Kangana Ranaut

इस दौरान मंत्री दिनेश गुंडुराव ने महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) और मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) पर भी अपनी बातें रखी। उन्होंने कहा कि गांधी हिंदू सांस्कृतिक रूढ़िवाद में गहरी आस्था रखने वाले कट्टर शाकाहारी थे। वह अपने दृष्टिकोण में एक लोकतांत्रिक व्यक्ति थे।

पत्नी करती थी मना फिर भी बनाता था संबंध, कोर्ट में देखा तो जज के सामने कहने लगा ‘दीदी’… पढ़े ये अनोखी कहानी वाली खबर

वहीं मोहम्मद अली जिन्ना पर बोलते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडुराव ने कहा कि वह कभी कट्टरपंथी नहीं थे, लेकिन सावरकर थे। कुछ लोगों का यह भी दावा था कि वह सूअर का मांस खाते थे। हालांकि, बाद में वह मुसलमानों के लिए एक आइकन बन गए।

अमेरिका ने भारत के खिलाफ उगला जहरः धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में भारत की छवि की खराब, कहा- मुसलमानों को पीटा गया, मस्जिद तोड़ी गई- America Religious Report 2024

गोडसे का कट्टरवाद देश में बड़ी जड़ें जमा रहा है

दिनेश गुंडूराव ने कहा कि गोडसे जैसा व्यक्ति जिसने महात्मा गांधी की हत्या की, वह कट्टरपंथी थे क्योंकि उनका मानना ​​था कि वो जो कर रहे थे वह सही था। यह कट्टरवाद है। मान लीजिए कि कोई गोरक्षक जाता है और किसी को मारता है या पीटता है, तो वह यह नहीं सोचता कि वह कुछ गलत कर रहा है। यह सावरकर के कट्टरवाद का खतरा है। यह कट्टरवाद देश में बड़ी जड़ें जमा रहा है। गांधी एक धार्मिक व्यक्ति थे. सावरकर के कट्टरवाद का मुकाबला करने का असली तरीका गांधी के लोकतांत्रिक सिद्धांत और उनका दृष्टिकोण है। कट्टरवाद का मुकाबला किया जाना चाहिए।

मरीज के रूप में पहुंची ‘मौत’: दिल्ली के अस्पताल में डॉक्टर की गोली मारकर हत्या, ड्रेसिंग कराने पहुंचे थे दोनों हमलावर- Delhi Doctor Murder

कांग्रेस झूठ की फैक्ट्रीः अनुराग ठाकुर

कर्नाटक के मंत्री दिनेश गुंडूराव के बयान पर बीजेपी ने कांग्रेस पर पलटवार किया है। बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने कहा है कि कांग्रेस झूठ की फैक्ट्री है। भारत वीर सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा। देश के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले वीर सावरकर से कांग्रेस ने कभी कुछ नहीं सीखा। अनुच्छेद 370 कांग्रेस पार्टी द्वारा दिया गया था। यह जवाहरलाल नेहरू की गलती थी और हजारों लोग मारे गए थे।

5600 करोड़ के ड्रग सिंडिकेट का कांग्रेस नेता मास्टरमाइंड निकलाः Congress RTI सेल का चेयरमैन रह चुका आरोपी- Delhi Drug Case

कौन थे वीर सावरकर और भारत की आजादी में क्या है योगदान

वीर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को नासिक के भागपुर गांव में हुआ था और उनकी मृत्यु 26 फरवरी, 1966 को बम्बई (अब मुंबई) में हुई थी। उनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर है। वह एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, समाज सुधारक और हिंदुत्व के दर्शन के सूत्रधार थे।  उनके भाई-बहन गणेश, मैनाबाई और नारायण थे। वह अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते थे और इसलिए उन्हें ‘वीर’ उपनाम मिला, जो एक साहसी व्यक्ति थे। वह अपने बड़े भाई गणेश से प्रभावित थे, जिन्होंने उनके किशोर जीवन में प्रभावशाली भूमिका निभाई थी।

Mohammad Azharuddin: पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन को ED का समन, आज अपने दफ्तर बुलाया, जानें क्या है पूरा मामला

लंदन में वीर सावरकर ने अपने साथी भारतीय छात्रों को प्रेरित किया और आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए एक संगठन ‘फ्री इंडिया सोसाइटी’ का गठन किया था। वीर सावरकर ने ‘1857 के विद्रोह’ की तर्ज पर स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए गुरिल्ला युद्ध के बारे में सोचा। उन्होंने “द हिस्ट्री ऑफ द वॉर ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस” नामक पुस्तक लिखी, जिसने कई भारतीयों को आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया। हालांकि उस समय इस किताब पर अंग्रेजों ने प्रतिबंध लगा दिया था।

Data on Food Inflation: रघुराम राजन ने कहा – खाद्य वस्तुओं की कीमतों को महंगाई दर में स्थान नहीं देने के विचार से लोगों का RBI पर भरोसा कम होगा

उन्हें काला पानी के नाम से मशहूर ‘सेल्यूलर जेल’ में बंद कर दिया गया। जेल में उन्हें बहुत यातनाएं दी गईं। लेकिन, उनकी राष्ट्रीय स्वतंत्रता की भावना जारी रही और उन्होंने वहां अपने साथी कैदियों को पढ़ाना-लिखाना सिखाना शुरू कर दिया। उन्होंने जेल में एक बुनियादी पुस्तकालय शुरू करने के लिए सरकार से अनुमति भी ली।

वह स्वयंभू नास्तिक थे, उन्हें हमेशा हिंदू होने पर गर्व था और उन्होंने इसे एक राजनीतिक और सांस्कृतिक पहचान बताया। 6 जनवरी, 1924 को सावरकर को जेल से रिहा कर दिया गया और उन्होंने ‘रत्नागिरी हिंदू सभा’ ​​के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस संगठन का उद्देश्य हिंदुओं की सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना था।1937 में वीर सावरकर ‘हिन्दू महासभा’ के अध्यक्ष बने। दूसरी ओर  उसी समय मुहम्मद अली जिन्ना ने कांग्रेस शासन को ‘हिंदू राज’ घोषित कर दिया, जिससे हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहले से ही बढ़ रहा तनाव और भी बदतर हो गया था। 

अनोखा फैसलाः साली ने जीजा पर लगाया रेप का आरोप, कोर्ट में आरोपी ने दिखाया WhatsApp Chat तो जज बोले- तुम्हें बाइज्जत बरी किया जाता है, ऐसा क्या था व्हाट्सऐप चैट में?

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H