Pawan Kalyan On Tirupati Laddu Controversy: तिरुपति मंदिर (Tirupati Mandir) में बीफ (Beef) की चर्बी वाले लड्डू (प्रसादम) पर मचे घमासान के बीच आंध्र प्रदेश के डिप्टी-सीएम पवन कल्याण ने बड़ा बयान दिया है। पवन कल्याण ने तिरूपति वाराही सभा में कहा कि मैं सनातन धर्म (हिंदुत्व-Hindu) का दृढ़ता से पालन करता हूं। हम राम के भक्त हैं और घर में राम नाम का जाप करते हैं।

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आंध्र के डिप्टी सीएम ने कहा कि मैं सनातन धर्म के लिए सब कुछ त्याग दूंगा। मैं सनातन धर्म का पालन करता हूं और सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। सनातन धर्म के संरक्षण के लिए पारित होने वाले कानून को लागू करने के लिए राष्ट्रीय, राज्य स्तर पर एक सनातन धर्म संरक्षण बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए। नकली धर्मनिरपेक्षतावादियों के लिए धर्मनिरपेक्षता का मतलब हिंदू धर्म का अपमान करना, हिंदू धर्म का मजाक उड़ाना और बुतपरस्त धर्मों को वापस लाना है।

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पवन कल्याण ने कहा, “मेरे मन में किसी भी पार्टी के खिलाफ कोई शिकायत या बदले की भावना नहीं है। 10 साल में मैंने बहुत अपमान सहा और देखा है। गठबंधन सरकार बने 100 दिन हो चुके हैं और इन दिनों में वह बाहर नहीं निकले। राज्य में विकास और कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया है। अगर तिरुमाला में वेंकन्ना के साथ अन्याय हुआ तो क्या हम नहीं बोलेंगे? सब कुछ राजनीति और वोट के लिए है? तिरुमाला में उत्पात हो रहा है तो मैं मौन कैसे रहूंगा? मैं इसलिए आज आपके सामने आया हूं। अगर हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा। वेंकटेश्वर स्वामी कलियुग में धर्म के प्रतीक हैं। जो सनातन धर्म को मिट्टी में मिलाना चाहते हैं, हम उन लोगों से लड़ने के लिए तिरुपति आए हैं। मैं यहां डिप्टी सीएम या जनसेना पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर नहीं आया हूं बल्कि मैं यहां हिंदू और भारतीय के तौर पर पहुंचा हूं।

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पिछले पांच-10 सालों से लगातार किसी न किसी तरह की अपवित्रता हो रही है। करीब 219 मंदिरों को अपवित्र किया गया। रामतीर्थम में भगवान राम की मूर्ति को खंडित किया गया। ऐसे में यह सिर्फ एक प्रसाद का मामला नहीं है।

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सभी हिंदुओं को एकजुट होने का समय आ गया

कल्याण आगे बोले, “भारत में मुस्लिम, ईसाई और पारसी जैसे सभी धर्मों को समान रूप से आदर किया जाता है। हालांकि, धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा एकतरफा नहीं हो सकती। यह दोतरफा मार्ग है, जिसमें सभी धर्मों का सम्मान करना होगा। देश में हिंदू देवी-देवताओं पर कई हमले हुए हैं। अगर आप राम के बारे में अनुचित बोलते हैं तो क्या लोगों को उसके खिलाफ नहीं बोलना चाहिए? हमारा धर्मनिरपेक्ष देश हैं। अगर दूसरे धर्मों में भगवान को कोसेंगे तो क्या वे चुप रहेंगे? धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिंदुओं को चुप कराया जा रहा है। अन्याय होने पर हिंदुओं को बोलने का भी अधिकार नहीं है। हिंदू समाज जातियों और क्षेत्रों के हिसाब से बंटा है। सभी हिंदुओं को एकजुट होने का समय आ गया है। हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां हम अपने धर्म के बारे में बात करने से डरते हैं।

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पवन कल्याण ने कौन-कौन से घोषणाएं कीं?

  • धर्मनिरपेक्षता को इस तरह से बरकरार रखा जाना चाहिए कि किसी भी धर्म या उनसे जुड़ी आस्थाओं-मान्यताओं को होने वाले किसी भी तरह की हानि या क्षति के लिए समान प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके.
  • सनातन की रक्षा करने और इनकी मान्यताओं-विश्वासों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी गतिविधियों को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत कानून की अनिवार्य आवश्यकता है. यह कानून तुरंत बनाया जाना चाहिए और पूरे देश में समान रूप से लागू किया जाना चाहिए.
  • इस कानून के कार्यान्वयन की देखरेख के लिए राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर एक “सनातन धर्म रक्षा बोर्ड” की स्थापना की जानी चाहिए.
  • बोर्ड को समर्थन प्रदान करने के लिए वार्षिक धनराशि आवंटित की जानी चाहिए
  • सनातन धर्म को अपमानित करने और उसके विरुद्ध दुष्प्रचार करने वाले व्यक्तियों या संगठनों के साथ असहयोग किया जाना चाहिए. 
  • मंदिरों में दैनिक पूजा अनुष्ठानों और प्रसाद में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए सनातन धर्म प्रमाणीकरण लागू किया जाना चाहिए.
  • मंदिरों को न केवल आध्यात्मिक केंद्र के रूप में बल्कि एक व्यापक योजना के तहत शिक्षा, कला, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण संरक्षण और अन्य बहुतेरे कल्याणकारी कार्यों को बढ़ावा देने वाले केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाना चाहिए.

जांच के लिए  सुप्रीम कोर्ट ने नई SIT का किया गठन

इधर सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति प्रसादम विवाद की स्वतंत्र जांच के लिए एक नवीनतम पांच सदस्यीय SIT का गठन कर दिया है। यानी राज्य की SIT को न्यायालय ने बंद कर दिया। इस मामले की जांच करने वाली नवस्थापित एसआईटी में अब दो सीबीआई अधिकारी शामिल होंगे। साथ ही टीम में एक अधिकारी FSSSAI और दो राज्य पुलिस से होंगे। जबकि सॉलिसिटर जनरल ने पहले की एसआईटी पर भरोसा जताया था, कोर्ट ने ये आदेश देते हुए स्पष्ट कर दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि हम नहीं चाहते कि यह राजनीतिक नाटक बन जाए। स्वतंत्र निकाय होगा तो आत्मविश्वास रहेगा। विगत बुधवार को सुनवाई टल गई क्योंकि एसजी तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र शुक्रवार को उत्तर देगा।

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तिरुपति लड्डू विवाद क्या है?

 इस महीने की शुरुआत में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि राज्य की पूर्ववर्ती सरकार (जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली) ने तिरुपति में लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया था। उनके इस बयान ने बड़ी सियासी बहस पैदा कर दी है। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। 30 सितंबर को सुनवाई हुई, सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की, कहा कि भगवान को इस मामले में कम से कम राजनीति से दूर रखें।

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