पुरी : ओडिशा में श्रीमंदिर हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना से पहले पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई पहल के दौरान भक्तों द्वारा चढ़ाए गए ‘अर्पण’ चावल की नीलामी 2 करोड़ रुपये से अधिक में हुई।

पुरी जिला प्रशासन ने निविदा प्रक्रिया के माध्यम से 10,322.49 किलोग्राम ‘अर्पण’ चावल निमापरा स्थित मां तारिणी चावल मिल को 2.86 करोड़ रुपये में बेचा।

पुरी कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने बताया कि चावल मिल ने श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) को राशि का भुगतान कर दिया है।

पुरी श्रीमंदिर परिक्रमा परियोजना के उद्घाटन से पहले राज्य भर में अर्पण रथों के माध्यम से एकत्र किए गए चढ़ावे का उपयोग नहीं करने के विवाद के बाद जिला खाद्य आपूर्ति विभाग ने 10,322.49 किलोग्राम ‘अर्पण’ चावल की मौके पर ही नीलामी की थी।

कलेक्टर ने बताया कि नीलामी प्रक्रिया में चार मिलर्स ने हिस्सा लिया था, जिनमें से मां तारिणी चावल मिल, नीमापारा के मालिक सुरेश कुमार मोहंती ने 2,780 रुपये प्रति क्विंटल की बोली जीती और 2 करोड़ 86 लाख 96 हजार रुपये में खरीदा। पुरी जगन्नाथ मंदिर के सुआर और महासूआर निजोग ने जिला प्रशासन के इस कदम का स्वागत किया है।

गौरतलब है कि इस साल 17 जनवरी को तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा श्रीमंदिर परिक्रमा परियोजना के उद्घाटन से पहले अर्पण रथों के माध्यम से भक्तों से सुपारी और दान के साथ कुल 14017.23 क्विंटल चावल एकत्र किया गया था। जिला प्रशासन ने दान के रूप में 2.5 करोड़ रुपये एकत्र किए थे, लेकिन उसने भक्तों के बीच अर्पण चावल से बने प्रसाद को वितरित करने का फैसला किया।

तदनुसार,सुआर और महासूआर निजोग को भक्तों के बीच वितरण के लिए 2 टन चावल तैयार करने के लिए दिया गया था। यह कुछ दिनों तक जारी रहा, लेकिन बाद में बंद हो गया। ओडिशा में भाजपा सरकार बनने के बाद कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि अर्पण चावल इस्तेमाल के लायक नहीं है और इसे जगन्नाथ मंदिर में देवताओं को नहीं चढ़ाया जा सकता। इससे पहले कि बचे हुए चावल की गुणवत्ता और खराब हो जाए, जिला प्रशासन ने राज्य सरकार की अनुमति से इसे नीलामी के जरिए बेचने का फैसला किया।