रोहित कश्यप, मुंगेली। जिले के लोरमी क्षेत्र के उप स्वास्थ्य केंद्र छपरवा में ग्रामीण स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर नियम विरुद्ध तरीके से की गई भर्ती में फर्जीवाड़े की शिकायत मामले को लल्लूराम डॉट कॉम में खबर प्रकाशित होने के बाद आखिरकार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने निरस्त कर दिया. दरअसल इस मामले में अशोक यादव नामक व्यक्ति ने नियम विरुद्ध भर्ती करने की लिखित शिकायत कलेक्टर राहुल देव से की थी. इस खबर को हमने प्रमुखता से प्रसारित किया. कलेक्टर के निर्देश पर मामले में जांच हुई और अब जांच रिपोर्ट के आधार भर्ती को निरस्त किया गया है.

राजनांदगांव जिले के राजमकल कोरे नामक व्यक्ति की छपरवा उपस्वास्थ्य केंद्र में RHO के पद पर 11 सितम्बर 2024 को जो भर्ती के संबंध में नियुक्ति आदेश मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभात चन्द्र प्रभाकर ने निकाला था,अब उन्होंने ही इस भर्ती की नियुक्ति को निरस्त करने का भी आदेश निकाला है, जिसमें भर्ती प्रकिया में विसंगतियां होने का हवाला भी दिया गया है.

अधिकारी का जवाब – नो कमेंट्स ?

जब इस मामले से जुड़े सवालों का जवाब लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने CMHO डॉ. प्रभात चन्द्र प्रभाकर से जानना चाहा तो वे कार में बैठ गए और सवाल का जवाब देने की बजाय DPM गिरीश कुर्रे को जवाब देने कहने लगे. जिससे ये प्रतीत हो रहा था मानो साहब NO कमेंट्स कह रहे हैं और मीडिया के सवालों से कन्नी काट रहे है.

मामले में क्या बोले DPM

इस मामले को लेकर डीपीएम गिरीश कुर्रे ने कहा कि CMHO साहब और उनकी टीम के द्वारा उप स्वास्थ्य केन्द्र छपरवा में RHO की भर्ती प्रतीक्षा सूची के माध्यम से की थी. जिसके संबंध में कलेक्टर महोदय को शिकायत मिली थी. जिसका जिला प्रशासन द्वारा परीक्षण कर विसंगति की पुष्टि होने पर जिला प्रशासन द्वारा इस भर्ती के नियुक्ति को निरस्त किया गया है.

नियम विरुद्ध भर्ती करने वालों पर कार्रवाई कब?

RHO जैसे महत्वपूर्ण पद पर पहले नियम विरुद्ध भर्ती और फिर भर्ती निरस्त करना, इससे न सिर्फ CMHO कार्यालय बल्कि CMHO साहब की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे है ? वहीं राजनांदगांव जिले के राजकमल कोरे जिसकी नियुक्ति मुंगेली जिले के लोरमी क्षेत्र के छपरवा में RHO के पद पर नियुक्ति की गई थी. नियुक्ति को निरस्त करने पर उन्होंने कहा कि मेरे साथ गलत हुआ है, मेरे सभी दस्तावेज सही हैं, मेरी नियुक्ति निरस्त कर दिया गया. उन्होंने सवाल किया है कि यदि मेरी नियुक्ति गलत तरीके से की गई थी तो नियम विरुद्ध तरीके से नियुक्ति करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों पर भी कार्रवाई होना चाहिए.

सवाल वो जो सुलग रहे हैं?

स्वास्थ्य विभाग में भर्ती के आड़ में जो बड़ा खेल चल रहा था उस पर से पर्दा हट गया है,लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि नियम विरुद्ध तरीके से चोरी छिपे भर्ती करना और चोरी पकड़े जाने पर भर्ती निरस्त कर देने मात्र से क्या यह मामला खत्म हो गया ? क्या भर्ती निरस्त कर देने से CMHO साहब और भर्ती करने वाले टीम का अपराध खत्म हो जाता है ?अब देखना यह है कि क्या इस मामले में स्वास्थ्य संचालनालय के राज्य अधिकारी द्वारा कोई जांच टीम बैठाई जाएगी ? क्या कलेक्टर राहुल देव राज्य सरकार को जिम्मेदारो पर कार्रवाई के लिए कुछ पत्राचार करेंगे.?या फिर जिला प्रशासन स्तर पर ही कोई कार्रवाई करेंगे यह सवाल उठने लगे है।

जानिए क्या है मामला

कलेक्टर राहुल देव से अशोक यादव नामक शख्स ने अपनी शिकायत में कहा था कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मुंगेली के द्वारा दिए गए विज्ञापन के आधार पर ग्रामीण स्वास्थ्य अधिकारी के 55 पदों पर रेगुलर भर्ती किया गया था. उक्त भर्ती में कुछ पद रिक्त हो जाने के कारण प्रतीक्षा सूची से अभ्यर्थियों का चयन किया जाना था. प्रतीक्षा सूची से चयन किये जाने के लिए प्रतीक्षा सूची के अभ्यर्थियों को बहुत दिनों से स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय से कोई जानकारी नहीं दी जा रही है.

लेकिन अभी जानकारी मिली है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मुंगेली कार्यालय से अभी कुछ अभ्यर्थियों कि गलत तरीके से भर्ती कर पैसों का लेनदेन कर नियम विरुद्ध ग्राम छापरवा में पदस्थापना कर दी गई है. उक्त भर्ती पदस्थापना के सम्बन्ध में किसी भी प्रतीक्षासूची के अभ्यर्थी को कोई जानकारी प्रकाशित नहीं की गई है और न ही कोई पत्राचार किया गया है. इस प्रकार मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय से भारी भष्टाचार कर अपने करीबी लोगों को रेगुलर नियुक्ति कर दी गई है.

शिकायत कर्ता ने इस मामले में यह भी कहा है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से ग्रामीण स्वास्थ्य अधिकारीयों के प्रतीक्षा सूची अथवा बिना प्रतीक्षा सूची में नाम के उप स्वास्थ्य केंद्र छपरवा और स्वास्थ्य केन्द्रों में भर्ती की उच्च स्तरीय जांच कराकर उक्त पद पर भर्ती के लिए आवेदनकर्ताओं को न्याय प्रदान कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई थी.