इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि मृत्यु के पहले बयान के आधार पर सजा तभी सुनाई जा सकती है जब बयान को विधिवत स्त्यापित कराया गया हो. बिना सत्यापित बयान के आधार पर सजा का आदेश नहीं दिया जा सकता है. भदोही के सिंटू और अन्य की अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी की खंडपीठ ने अभियुक्तों को सुनाई गई सजा को रद्द कर दिया है. अभियुक्तों को दहेज हत्या के लिए धारा 304 और 34 के तहत दोषी ठहराया गया था. जिसमें हर आरोपी को 50 हजार रुपये के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
कोर्ट ने कहा कि मृतका की ओर से दिए गए मृत्यु पूर्व बयान को अभियोजन ने सत्यापित नहीं कराया, ना ही लेखक की गवाही कराई गई. कोर्ट ने कहा कि मृतका ने स्थानीय बोली में बयान दिया था जिसका बयान लेखक ने अनुवाद किया था, इसलिए उसे जिरह के लिए गवाह के रूप में पेश किया जाना आवश्यक था. कोर्ट के कहा कि जिस व्यक्ति ने बयान लिखा उसे गवाही के लिए बुलाया ही नहीं गया. यदि बुलाया गया होता तो बचाव पक्ष को उससे जिरह का अवसर मिलता. ऐसा नहीं करने से बचाव पक्ष को प्रति परीक्षण का अवसर नहीं मिला.
इसे भी पढ़ें : गैंगरेप और हत्या का मामला : इलहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपियों की फांसी को 25 साल के कारावास में बदला
2017 की है घटना
मामले के अनुसार ज्ञानपुर थाना क्षेत्र में मियांखानपुर निवासी मीरा देवी 18 अक्टूबर 2017 को जलकर घायल हो गई थी. दो दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई. एसडीएम के निर्देश पर तहसीलदार सुनील कुमार उसका बयान लेने पहुंचे. उनका कहना है कि बयान उनके सामने कानूनगो ने लिखा और तब परिवार के लोग मौजूद थे. ट्रायल कोर्ट ने मीरा के मृत्यु पूर्व बयान के साथ ही अन्य साक्ष्यों पर भरोसा किया. तहसीलदार ने मीरा के मृत्यु पूर्व बयान को साबित किया. मुख्य परीक्षण में उनका कहना था कि मृत्यु पूर्व बयान दर्ज करने से पहले डॉक्टर ने प्रमाणित किया था कि मीरा बयान देने के लिए मानसिक रुप से ठीक थी.
घटना के वक्त कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था- कोर्ट
इधर खंडपीठ ने कहा याचीगण के बारे में मीरा का मृत्युपूर्व बयान भर है. घटना के समय उसका पति दिल्ली में था. कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं है. तहसीलदार ने स्वयं बयान लिखने की बात स्वीकार नहीं की थी और इसे लिखने वाले कानूनगो से अभियोजन पक्ष द्वारा कभी भी पूछताछ नहीं की गई थी. सत्र न्यायाधीश भदोही ज्ञानपुर ने तीन मार्च 2020 को सजा सुनाई थी. मीरा के भाइयों महेंद्र और संतोष ने घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. आरोप लगाया था कि ससुराल में झगड़ा होने पर ससुर, सास और जीजा ने बहन पर केरोसिन डाल दिया और आग लगा दी. मृत्यु पूर्व बयान में मीरा ने कहा था कि देवर आकाश और सिंटू पुत्र हिंचलाल ने शाम 6 बजे आग लगा दी.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक