शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई है। सड़क हादसे में एक आंख की रोशनी चली गई थी। हादसे के बाद आंख मस्तिक में जाकर फंस गई। हादसे के बाद दूसरी आंख की भी रोशनी चली गई। डॉक्टरों के अथक प्रयास और सफल सर्जरी से मरीज के आंख की रोशनी वापस आ गई। इसीलिए डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है।

डॉक्टर अमित अग्रवाल (न्यूरोसर्जरी), डॉक्टर भावना शर्मा (नेत्र रोग), डॉक्टर बी एल सोनी (मैक्सिलोफेशियल सर्जन), और डॉक्टर वैशाली वेंडेसकर (एनेस्थीसिया) की टीम ने मरीज की न्यूरोलॉजिकल स्थिति को स्थिर करने के बाद माइक्रोस्कोपी की मदद से बाईं आंख को एथमॉइड साइनस से सफलतापूर्वक निकाल कर सही स्थान पर फिट किया। एम्स के डॉक्टरों की टीम द्वारा सफल ऑपरेशन किया गया। मस्तिष्क में फंसी आंखों को बाहर निकाल गया। सर्जरी के दौरान प्रभावित बाई आंख को निकालने के साथ मस्तिष्क की नसों और चोटिला का भी इलाज किया गया। हादसे के बाद दूसरी आंख की भी रोशनी चली गई थी। सफल सर्जरी के बाद मरीज की दूसरी आंख की रोशनी लौट आई है। यह दुर्लभ सर्जरी नेत्र और न्यूरोसर्जिकल चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है. जो एम्स भोपाल के जटिल मेडिकल मामलों को विशेषज्ञता और संवेदनशीलता के साथ संभालने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

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