अपने बच्चों की खिलखिलाती किलकारी वाली हंसी, तोतले बोली माता-पिता को हर पल याद रहती है. जब कभी मूड खराब होता है, या फिर बच्चों के बचपने की याद आती है तो वे पुराने फनी वीडियोज को देखते ही हैं. इससे पुरानी यादें दुरुस्त हो जाती हैं, हंसी आती हैऔर माइंड फ्रेश हो जाता है. मगर, जब बच्चे बड़े होते हैं तो उनके नखरें माता-पिता के लिए घर तक तो ठीक होते हैं, मगर घर के बाहर अगर बच्चे ऐसा ही करते हैं तो माता-पिता असहज हो जाते हैं. कई बार तो उन्हें शर्मिंदा होना पड़ता है. मगर, बाहर ऐसे मौकों पर समझदारी जरूरी है. खुद पर नियंत्रण जरूरी है.

बच्चों के इन नखरों को अच्छे से कैसे हैंडल करना है,आईए इस आर्टिकल में विस्तार से इसके बारे में जानते हैं. (bacche ko kaise control kare)

बच्चे पर ध्यान दें

बच्चे न समझ होते हैं. वे ये नहीं जानते कि बाहर क्या करना क्या नहीं. वे अपनी मस्ती में होते हैं. अगर, हम इस बात को लेकर चितिंत हैं कि लोग बच्चे के नखरे पर क्या कहेंगे, तो इस चिंता को छोड़ दें. लोग समझते हैं, क्योंकि हर कोई इस दौर से गुजरता है. अच्छा यह है कि ऐसे समय पर बच्चे पर फोकस करें.

बच्चे पर चिल्लाने से बचें

भीड़-भाड़ में बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करतें हैं. उन्हें माता-पिता के प्यार, दुलार और स्पर्श की आवश्यकता होती है. इसलिए उन पर न चिल्लाएं. अगर, हम चिल्लाएं तो इसका विपरीत असर पड़ेगा, वे और रोएंगे. इसलिए उन सीने से चिपाएं, उनका मन बहलाएं. ऐसा फील करवाएं कि आप उनकी सारी प्रॉब्लम को समझ रहे हैं. ऐसे समय में सबसे अच्छा उपाए है कि बच्चों को जो अच्छा लगता है वैसा करने दें. या उनकी फेवरेट चीज उन्हें दें.

बच्चे से तर्क ना करें

अकसर देखा गया है कि माता-पिता बच्चों से तर्क करते हैं. वे भावुक होते हैं, जिससे उनकी रीजनिंग पॉवर काम नहीं करती,इसलिए बच्चों से तर्क तो बिल्कुल न करें. उनके शांत होने का इंतजार करें. इस दौरान बच्चों की नींद और खाने-पीने पर ध्यान दें. कई बार भूख की वजह से भी बच्चे चिड़चिड़ाते हैं.

जिद पूरी न करें- बच्चों की जिद के आगे हार बिल्कुल ना माने वरना वे इस तकनीक को आगे भी आजमाएंगे और सोच लेंगे की अपनी बात मनवाने का ये तरीका सही है. (bacche ko kaise control kare)