Congress In Haryana Election Result: हरियाणा में BJP रिकॉर्ड लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। हरियाणा चुनाव (Haryana election) में बीजेपी की ऐसी सुनामी आई कि कांग्रेस (Congress) बहुत दूर बह गई। 90 सीटों वाले विधानसभा में बीजेपी 48 सीट के साथ सत्ता बना ली। वहीं कांग्रेस सिर्फ 37 सीट पर सिमट कर रह गई। इस चुनाव में कांग्रेस ने किसान आंदोलन, अग्निवीर योजना, पहलवानों का आंदोलन और जेलबी को लेकर बीजेपी को घेरने की पूरी कोशिश की। हालांकि ये किसान, जवान, पहलवान, जाति और जलेबी ने कांग्रेस का ही बेड़ा गर्क कर दिया। रही सही कसर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की बातों के ओवरडोज ने पूरी कर दी। तो चलिए कांग्रेस की हार के कारण खोजते हैंः-

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राहुल गांधी के भाषणों का ओवरडोज

इसमें कोई दो राय नहीं है की राहुल गांधी की बातें देश की जनता प्रधानमंत्री से भी अधिक सुन रही है। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने तो बकायदा सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी हैंडल के आंकड़ों की तुलना करते हुए इसे साबित भी किया था। राहुल गांधी ने इस बार के चुनावों में बीजेपी में चुनाव प्रचार के महारथी कहे जाने वाले प्रधानमंत्री मोदी से भी कहीं अधिक रैलियां, सभाएं और रोड शो किया पर जाट बेल्ट तक में कांग्रेस की हालत खराब रही। कांग्रेस की लहर के बावजूद बीजेपी अगर हरियाणा में तीसरी बार पूरे बहुमत के साथ अगर सरकार बनाने जा रही है तो इसका मतलब है कि राहुल गांधी का करिश्मा काम नहीं किया।

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राहुल गांधी के भाषणों में हर समय सिर्फ किसान आंदोलन, पहलवान आंदोलन, जातिगत जनगणना और अग्निवीर योजना ही रहा। इसके अलावे राहुल गांधी के शब्दों में कोई नयापन नहीं रहा। रही सही कसर जलेबी को फैक्ट्री में बनाने वाले बयान ने तो पूरा खेल ही बिगाड़ दिया। जिस तरह आलू से सोना बनाने वाले बयान को बीजेपी ने खूब भूनाया था। उसी तरह फैक्ट्री से जलेबी बनाने के बयान को भी भाजपा ने हाथों हाथ लिया। इससे राहुल गांधी की खूब किरकिरी हुई।

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पहलवानों के आंदोलन को राजनीतिक बनाना

दरअसल, कांग्रेस को हरियाणा विधानसभा चुनाव में पहलवानों के आंदोलन को राजनीतिक बनाना भी भारी पड़ गया। पहलवान आंदोलन जिसे शुरू में लोगों की हमदर्दी मिल रही थी, कांग्रेस की एंट्री होते ही राजनीतिक बन गया। इसके बाद पार्टी ने विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को भी कांग्रेस में शामिल करा लिया जिसके बाद पहलवानों के आंदोलन पर राजनीति के आरोप लगे। इसे भी बीजेपी ने अच्छे से चुनाव प्रचार के दौरान उठाया ।

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जाति और आरक्षण के भरोसे चुनाव

हरियाणा में कांग्रेस और राहुल गांधी का पूरा चुनावी कैंपेन जाति और आरक्षण के आस-पास ही घूमता रहा। जबकि भाजपा लगातार अपने 10 साल के काम के साथ प्रचार करती रही। इसके साथ ही भाजपा ने हरियाणा में कांग्रेस की उसकी पूर्ववर्ती सरकार की नीतियों पर भी खूब आलोचना की। इसके साथ ही भाजपा ने पूरे चुनाव में राहुल गांधी द्वारा अमेरिका जाकर आरक्षण खत्म करने पर बात करने को भी मुद्दा बनाया।

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कांग्रेस का पूरी तरह से भूपेंद्र हुड्डा पर निर्भर होना

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने पूरी तरह से भूपेंद्र हुड्डा पर निर्भरता दिखाई। टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार तक, भूपेंद्र हुड्डा का ही वर्चस्व रहा। जब विधानसभा चुनाव के लिए टिकटों का वितरण किया गया, तो अधिकांश टिकट हुड्डा गुट के विधायकों को ही दिए गए।

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दलित वोटरों की कांग्रेस से दूरी

लोकसभा चुनावों में बीजेपी को राज्य की क़रीब 44 विधानसभा सीटों पर सबसे ज़्यादा वोट मिले थे जबकि कांग्रेस 42 विधानसभा क्षेत्रों में आगे रही थी। इस लिहाज़ से भी दोनों दलों के बीच अंतर काफ़ी छोटा रहा था। जानकारों के मुताबिक़ लोकसभा चुनावों में दलित वोटों का बड़ा हिस्सा कांग्रेस के खाते में गया था लेकिन मौजूदा विधानसभा चुनाव में यह वोट कांग्रेस से दूर जाता दिखा है। इस साल के लोकसभा चुनावों में मायावती की बीएसपी को हरियाणा में महज़ एक फ़ीसदी के क़रीब वोट मिले थे। मौजूदा विधानसभा चुनाव में उसने राज्य में अपने वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी की है। यही नहीं पिछले विधानसभा चुनावों के मुक़ाबले इस बार राज्य में आम आदमी पार्टी ने भी राज्य में अपने वोट बैंक में क़रीब एक फ़ीसदी का इज़ाफ़ा कर लिया है।

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