रायपुर. कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) सीजी चैप्टर का प्रतिनिधि मंडल महामंत्री जितेन्द्र दोषी के नेतृत्व में सोमवार को कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव से मुलाकात कर जीएसटी के लिए व्यापारिक सुझाव दिए. कैट के प्रस्ताव को सिंहदेव ने गंभीरता से सुनते हुए आवश्यक निराकरण करने का आश्वासन दिया. प्रतिनिधिमंडल में कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मगेलाल मालू, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र दोषी, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री परमानन्द जैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रवक्ता राजकुमार राठी शामिल थे.

कैट द्वारा दिये गये सुझाव इस प्रकार रहे.

जीएसटी कर सीमा निर्धारण संबंधी सुझाव – जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए सालाना टर्नओवर का दायरा 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख किया जा रहा एवं लघु व्यवसायियों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य न किया जाए. चूंकि ऐसे लघु व्यापारी सीमित संसाधन में अपना व्यवसाय चलाते है, और रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता से उनके व्यापार की पेंचदगियां बढ़ेगी एवं जीएसटी के प्रावधानों का पालन करने पर उनके ऊपर आर्थिक बोझ बढ़ जायेगी।

ई-वे बिल से संबधित सुझाव – वर्तमान समय में छग में 15 वस्तुओं पर ई-वे बिल लागू है, आप से अनुरोध है कि राज्य के भीतर समस्त प्रकार के वस्तुओं के व्यवहारों पर ई-वे बिल की अनिवार्यता समाप्त कर देनी चाहिए.

कर की दर में कमी करने हेतु सुझाव 

– रंग पेंट सामाग्री मे वर्तमान मे 18 प्रतिशत टैक्स अदा करना पड रहा है. चूकि रंग पेंट का उपयोग गरीब व निम्न वर्ग के लोग अत्यधिक करते है इसलिए रंग पेंट सामाग्री मे टैक्स कम से कम रखा जाये. 18 प्रतिशत कॉफी अत्यधिक है.

– प्रयोग की गई वाहन के विक्रय पर 5 प्रतिशत से जीएसटी लगाई जानी चाहिए. चूंकि नये वाहनों का विक्रय बहुत हद तक पुराने प्रयोग किए गए वाहनों के विक्रय पर निर्भर है यदि प्रयोग किए गए वाहन अधिक संख्या में बिकेंगे तो नये वाहनों के विक्रय में भी तेजी आयेगी और राजस्व में वृद्धि होगी अतः प्रयोग किए गए वाहनों पर कर की दर कम की जानी चाहिए.

– दोपहिया वाहन को सामान्यतः मध्यम वर्गीय लोग उपयोग करते है जिसमें वर्तमान में 28 प्रतिशत जीएसटी लगाई जा रही है, उसे कम करके 18 प्रतिशत किया जाना चाहिए.

– साइकिल, ट्राई साइकिल, साइकिल रिक्शा एवं पार्टस ( टायर ट्यूब एण्ड़ एसेसीरिज सहित ) में अभी जी.एस.टी. के चारो स्लेब अर्थात 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, 28 प्रतिशत लागू है जिसके कारण इस व्यापार में तकलीफ आ रही है. उपरोक्त सभी कारणों को ध्यान मे रखते हुए सायकल, सायकल पार्टस सायकल रिक्सा एण्ड़ पार्ट्स इनक्लुड़ीग (टायर ट्यूब एण्ड़ एसेसीरिज सहित ) का जीएसटी रेट एक ही स्लेब में और एचएसएन कोड़ एक ही रखा जाना उचित होगा. वैसे ही समस्या कपड़ा व स्टेशनरी उत्पाद पर भी है.

– कृषि उपकरण (जैसे मोटर पम्प सेट, केवल पावर, पाईप, कन्ट्रोल स्टाटर आदि) पर 12 प्रतिशत, है चूकि भारत कृषि प्रधान देश है, यहां किसानों की माली हालत ठीक नहीं है, उनके हितों को ध्यान में रखते हुए कृषि मोटर पम्प, डीजल पम्प, सबमर्सिबल पम्प, पाईप, केबल पावर, स्टाटर कन्ट्रोल पैनल आदि आयटमों पर टैक्स प्रतिशत कम से कम रखा जाये.

– जीएसटी में केक और पेस्ट्री को 18 प्रतिशत के टेक्स स्लैब में रखा गया है जबकि मिठाई को 5 प्रतिशत के स्लैब मे रखा गया है और दोनों ही उत्पाद के मूल कच्च पदार्थ मैदा, तेल, शक्क्र और डालडा है. सिर्फ बनाने की प्रक्रिया बदलने की वजह से किसी उत्पाद के टैक्स स्लैब को बदलना न्यायोचित नहीं है. केक, पेस्ट्री और बेकरी बिस्कीट आदि को मिठाई की तरह 5 प्रतिषत कर की सीमा में रखना चाहिए.

– फूटा चना सामान्य चना का ही एक परिष्कृत रूप है. इसमें तलने की प्रक्रिया नहीं होती है, साथ ही यह एक सस्ता उत्पाद है. इसका आगे का उपयोग कच्चेमाल के रूप में सत्तु बनाने के लिए भी होता है, जो कर मुक्त है. फूटा चना का 5 प्रतिशत जीएसटी होने से भी इसके क्रय पर किसी भी प्रकार का आगतकर उपलब्ध नहीं होगा. जिससे समाज के सर्वहारा वर्ग में उपयोग किये जाने वाले खाद्य पदार्थ मंहगे हो गये हैं.

जीएसटी रिटर्न संबंधी सुझाव

– जीएसटी 3बी, जीएसटीआर-1, एवं कम्पोजिशन स्कीम डीलर के लिए, रिवाइज्ड़ का आप्शन अभी तक पोर्टल मे नहीं दिये गये है जिससे किसी कारणवश गलत डाटा एन्ट्री होने पर रिवाइस नहीं किया जा सकता.

– 1.50 करोड़ रूपये टर्न ओवर के नीचे की स्थिती में जी एस टी आर 3 बी रिटर्न मासिक के स्थान पर त्रैमासिक भरा जाने का विकल्प होना चाहिए.

– जिस तरह वैट में सीजी एक्ट 2005 की धारा 19 के तहत 1 करोड़ तक के टर्न ओवर वाले को मासिक / त्रैमासिक विवरणी की जगह वार्षिक विवरणी भरने का प्रावधान था, उसी प्रकार वही सुविधा जी.एस.टी. एक्ट में भी दि जानी चाहिए.

– जीएसटीआर -3बी रिटर्न में गैर जी.एस.टी. व्ययों की जानकारी नहीं लेनी चाहिए.

– जीएएसटी के अंर्तगत 4 रिटर्न की जगह एक सिंगल रिटर्न लाना चाहिए.

– जीएएसटी के पोर्टल में बहुत सी तकनीकी दिक्कतें हैं – जैसे- माह बदलने के लिए पूरा बाहर आना पड़ता है। 500 से अधिक बिल संख्या पर आर-1 भरने पर बिल नहीं दिखता है, इन्हें दूर किया जाना चाहिएद्ध.

– जीएसटी के मासिक रिर्टन में पार्टी का बिल टू बिल सम्पूर्ण जानकारी लेने की बजाय पार्टी वाईस संपूर्ण विक्रय का एकमुश्त विवरण लिया जाना चाहिए. जिससे कौन कौन सी पार्टी से माह में व्यापारिक व्यवहार किया गया है जिसकी जानकारी कम समय में सही डाटा के साथ जी.एस.टी. पोर्टल पर भर सके.

– जीएसटी रिर्टन फाईल के जो एस.एम.एस./मेल आते है, उसमें पार्टी के नाम तथा जी.एस.टी. नं. दोनों का जिक्र होना चाहिए.  क्योंकि एक ही पार्टी के एक से अधिक जी.एस.टी. नम्बर अलग-अलग फर्मो के हिसाब से है, जिससे उसे पता लगा सके कि किस फर्म के बारे में एस.एम.एस. आया है.

– जीएसटी का रिटर्न तिमाही होना चाहिए एवं कर का भुगतान मासिक होना चाहिए, जिस प्रकार 1.50 करोड से कम टर्नओवर वाले व्यवसायियों को त्रैमासिक रिटर्न भी मिलना चाहिए.

– कम्पोजिशन स्कीम को 3 करोड़ तक बढ़ाना चाहिए.

– जीएसटीआर -3बी व जी.एस.टी.आर. -1 से संबंधित ऑफलाईन टूल उपयुक्त रूप से काम नहीं करता है, जिसका संमाधान किया जाना चाहिए.

– जीएसटी ऑडिट के प्रावधानों को निरस्त किया जाना चाहिए, क्योंकि सभी जानकारी वार्षिक विवरणी में भी मांगी जा रही है. ज्ञात हो कि व्यवसाय का टैक्स आडिट भी किया जा रहा है, जिसमें व्यापार से संबंधित सभी जानकारी दी जा रही है और जी. एस. टी. आडिट भी होने से काम का दोहरावा होग.। साथ ही साथ व्यापारियों के उपर आडिट का आर्थिक बोझ बढेगा.

राहत देने हेतु सुझाव

– जीएसटी के प्रारंभिक 3 वर्षो को ट्रांजिट अवधि घोषित किया जाना चाहिए. और इन तीन वर्षो में, व्यापारीयों को किसी प्रकार की पेनाटी नहीं लगाई जानी चाहिए.

– स्टेट जी.एस.टी. कांउसिल में स्टेट के व्यापारीयों को भी शामिल किया जाना चाहिए.

– एक्सपायरी ड्रग्स के सेल्स रिटर्न को जी.एस.टी. प्रावधानों में आपूर्ति नही माना जाना चाहिए.

– जी.एस.टी. हेल्प डेक्स व कस्टमर केयर की सेवाओं को दुरूस्त किया जाना चाहिए.

– क्लेरिकल त्रुटि एवं भूलवष त्रुटि पर सजा के प्रावधान को हटाया जाना चाहिए.

– एच.एस.एन. कोड को सिर्फ आयात-निर्यात की स्थिती में रखा जाना चाहिए.

– जीएसटी लोकपाल को सभी राज्यों में लागू किया जाना चाहिए.

– टेक्स अगर गलत हेड भुगतान हो जाता है, तो वह टेक्स किसी अन्य एकाउन्ट मे समायोजित नहीं होता हैं, जिससें रकम वापिस होने में काफी समय लग जाता हैं। अतः उपरोक्त राशि किसी एकाउन्ट मे समायोजित होनी चाहिए या कम समय में व्यापारी को वापिस होनी चाहिए.

– हमारे अनुसार जी.एस.टी.आई.एन. मे एक पहचान अंक होना चाहिए ताकि कोई जीएसटी पंजीकृत डीलर के स्टेटस की पहचान हो सके। उदाहरण के लिए बी. – बैंक सी. कम्पोजिषन डीलर, डी. – डीलर, ई. – निर्यातको, एल. – बडे इंडस्ट्रीज आदि के . इस चेक डिजिट से सरकार आसानी से क्षेत्र से सांख्यकीय/राजस्व डेटा का विष्लेषण कर सेक्टर विशेष की विकास की योजनाओं के सटीक क्रियानवन कर सके.

– देश के इंडस्ट्रीयल स्टेट व नये बने व्यापारिक क्षेत्र जो शहर से 10 किमी दूर है फोर जी नेटवर्क नही मिलता है वहॉ एवरेज नेटवर्क स्पीड 1 एमबीपीएस तक रहती है जो कि स्थिर नहीं है. अतः अनुरोध है कि इंटरनेट की कम स्पीड पर भी ई वे बिल जनरेट हो सके यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

– जब तक जीएसटी पोर्टल संबधित समस्याएं समाप्त नहीं होती तब तक लेट फीस समाप्त करनी चाहिए . जीएसटी पोर्टल मे खामी के कारण व्यवसायी को पेनाल्टी का भुगतान करना पड रहा है, जिसके कारण व्यवसायियों को आर्थिक नुकसान हो रहा हैं.

– जी एस टी इन कम्पनी (नोडल एजेन्सी) को ऑनलाईन फ्री डाउनलोड करने योग्य प्री मैपड फ्री आकांउटिंग साफ्टवेयर, ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज और अन्य संबधित पंजीकृत व्यापारियां को देना चाहिए जो जीएसटी कानून और आयकर अधिनियम के तहत प्रस्तुत किए जाने के लिए आवश्यक विभिन्न रिर्टन फॉर्म में डेटा अपलोड करने के लिए अनुकुल हो. साथ ही ई-वे बिल, सेल्स इनवॉईस, डेबिट नोट, क्रेडिट नोट, आदि (जैसे टैली अंकाउटिंग सॉफ्टवेयर ) भी निकाले जा सके का निर्माण की व्यापारियों को देना चाहिए. और इस सॉफ्टवेयर को वर्तमान जीएसटी/आयकर अधिनियम के अनुसार समय-समय पर अपडेट किया जाना भी जीएसटी काऊंसिल की जिम्मेदारी हो. कैट सी.जी. चैप्टर का टी.एस. सिंहदेव जी से हुई मुलाकात में प्रतिनिधि मंड़ल में विक्रम सिंह देव, जितेन्द्र दोषी, परमानन्द जैन, राममंधान, परमानन्द माधवानी शामिल थे.