पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। राजा पड़ाव इलाके में सुविधाओं के नाम पर ग्रामीणों के साथ मजाक किया जा रहा है. उप स्वास्थ्य केंद्र भवन बनाया पर स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति नहीं की. स्कूल भवन तो है, लेकिन शिक्षक नहीं. गांवों में बिजली के खंभे तो लग गए हैं, लेकिन बिजली नहीं है. ऐसे में सालों से सुविधाओं की बाट जोह रहे ग्रामीणों का धैर्य जवाब दे गया है, और वे अपनी मांगों को लेकर लामबंद हो रहे हैं. इसे भी पढ़ें : बड़ी खबर : साइंस कॉलेज मैदान किनारे बने चौपाटी को हटाने का निर्देश, विधायक मूणत ने किया था लंबा आंदोलन

मैनपुर ब्लॉक का राजा पड़ाव क्षेत्र विगत 15 दिनो से सुर्खियों में बना हुआ है. वह भी इसलिए की अब इलाके के 8 पंचायत के लोग एकजुट होकर मांगों को लेकर अपनी लड़ाई का निर्णायक अंत चाहते हैं. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अक्टूबर माह के अंत तक उनकी मांगें पूरी होते नहीं हुई तो वे नवंबर माह से ना केवल सरकारी राशन लेना बंद करेंगे, बल्कि सरकारी स्कूल व स्वास्थ्य सेवाओं का भी बॉयकट करेंगे.

मामला को समझने लल्लूराम डॉट कॉम की टीम प्रभावित इलाके में पहुंची. मांगों की हकीकत और फूटी चिंगारी को समझने पड़ताल किया, जिसने कई चौकाने वाले मामले सामने आए.

सरकारी रपटे का मरम्मत पंचायत फंड से राजा पड़ाव से गौरगांव तक 22 किमी सड़क पीएमजीएसवाई योजना से बना हुआ है.
इस सड़क में कोकड़ी पंचायत क्षेत्र में आने वाले बाघ नाला जर्जर और जानलेवा साबित हो रहा था. रपटे में हो गए गढ्ढे से चार पहिया की आवाजाही तक मुश्किल थी. ऐसे में कोकड़ी पंचायत इस रपटे का मरम्मत करा रही थी. कोकड़ी के सरपंच सखा राम ने बताया कि आवाजाही में भारी दिक्कत है. आए दिन दुर्घटना के अलावा आवास हितग्राहियों का मटेरियल नहीं आ पा रहा था, इसलिए इसकी मरम्मत कराई जा रही है.

पुलिया बनाने के लिए कोई नहीं आ रहा सामने

पूरे इलाके में ऐसे पांच रपटा बना हुआ है, जो जर्जर हो गया है. विभाग के एसडीओ कमलेश चंद्राकर के मुताबिक, दो साल पहले पीएमजीएसवाय ने इन रपटों को पीडब्ल्यूडी को हेंडओवर कर दिया है. 5 उच्च स्तरीय पुलिया के लिए जिस पर लगभग 14 करोड़ रुपए की मंजूरी मिली है. विभाग टेंडर जारी कर रहा है, लेकिन काम लेने वाला कोई सामने नहीं आ रहा है. सरकारी तकनीकी पेंच में फंसे होने के कारण ना तो पुराने का मरम्मत हो रहा, ना ही नया पूल बनना शुरू हुआ था. ग्रामीणों की 11 बिंदुओं की मांग में पूल व मरम्मत से जुड़ी दो अहम बिंदु भी शामिल है.

बिजली के खंभे गाड़े, लेकिन कनेक्शन नहीं

इलाके के कुल 8 पंचायत में से पांच कोकड़ी, हरहाडीह, कूचेंगा, भुतबेड़ा और गोरगांव के अधीन छोटे-बड़े 40 गांव, मजरा-टोला आता है, जहां अब तक बिजली नहीं पंहुचा है. मोगराडीह में खंभे गाड़ दिए गए हैं. गरहाडीह के पूरी बस्ती में वायरिंग का काम भी पूरा हुआ दिखा. कोकड़ी, कूचेगा जैसे कई गांव में बिजली के खंभे के ढेर पड़े मिले.

पतंग मरकाम बताते हैं कि विधानसभा चुनाव के पहले खंभे गिराए गए. चुनाव खत्म होते ही काम बंद कर दिया गया. पूर्व सरपंच राम चंद परदे और बुजुर्ग धनेश नागेश कहते हैं कि इलाके में 2015 के बाद ही बिजली के लिए सर्वे, एनओसी का काम पूरा कर लिया गया था, लेकिन बिजली के नाम से छला गया. चुनाव जीतने के बाद बड़े नेता भी झांक कर भी नहीं देखते, इसलिए अपने अधिकार के लिए लड़ने अब खुद सामने आ रहे हैं.

जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम ने बताया कि 13 गांव के लिए लगभग 15 करोड़ की मंजूरी मिल गई है. चल रहे काम को अचानक बंद कर दिया गया. बिजली के अभाव में विकास अवरूद्ध है. आखिर सोलर के भरोसे ग्रामीण कब तक रहेंगे. केरोसिन 100 रु प्रति लीटर हुआ तो इसका भी उपयोग बंद कर दिया गया है. अंधेरे में जीने को मजबूर ग्रामीण इसलिए आक्रोशित हैं.

इस पर बिजली विभाग के ईई अतुल तिवारी ने बताया कि वन विभाग की आपत्ति के बाद काम रोका गया है. हमने दोबारा डीजीपीएस का सर्वे कर एनओसी के लिए परिवेश पोर्टल में रिपोर्ट डाल दिया है. एनओसी मिलते ही काम शुरू हो सकेगा.

गाय के कोठा में लगाया स्कूल, शिक्षकों की कमी

8 पंचायत में 60 स्कूल है जहां 2213 बच्चे पढ़ रहे हैं. 179 शिक्षकों के बजाए 109 पदस्थ हैं, इनमे से 20 तो आते नहीं. कुछ ने दूरी के वजह से मनपसंद जगह व्यवस्था में चल दिए हैं. भवन की बात करें तो मोतीपानी में स्कूल गाय के कोठा में लगता है. मोंगराडीह में शिव साहू के गोदाम में स्कूल संचालित है. गाजी मुड़ा में स्कूल संचालन के लिए वन विभाग की बिल्डिंग ली गई. करेली, लाटापारा, खरताबेड़ा, जैसे 15 से ज्यादा स्कूल जर्जर है, जिनके मरम्मत के लिए मुख्यमंत्री जतन से पैसे भी मिले पर काम नहीं हुआ.

आधी-अधूरी स्वास्थ्य व्यवस्था

बिजली-शिक्षा ही नहीं क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था भी चरमरा हुई है. शोभा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर क्षेत्र के 20 हजार लोग निर्भर हैं. 12 के सेटअप में केवल 3 की ही पोस्टिंग है. एक डॉक्टर अपने दो सहयोगियों के साथ 20 हजार की सेवा करते हैं. इलाके के उप स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे है. लाखों की बिल्डिंग बनाई गई है, लेकिन स्टाफ सुविधा के अभाव के कारण नहीं रहता. कई केंद्र में सीएचओ का पद रिक्त पड़ा हुआ है.

मांगों पर ग्रामीणों से हो रही है चर्चा

ग्रामीणों की मांग पर गरियाबंद अपर कलेक्टर अरविंद पांडेय शोभा कहते हैं कि क्षेत्र के लोगों की मूलभूत सुविधाओं के लिए मांग पत्र दिया है. इनमें से कई मांगें पूरी कर दी गई हैं, कई पर काम चालू है. शासन स्तर से संबंधित मांगों के लिए पत्र ऊपर भेजा गया है. जो नई मांगें हैं उसे पूरा करने संबंधित विभाग को निर्देशित किया गया है. ग्रामीणों के अल्टीमेटम पर एसडीएम स्तर पर बैठक लेकर चर्चा की जा रही है.