अमृतसर. पंजाब में पंचायत चुनावों से संबंधित लगभग 100 याचिकाओं पर आज (शुक्रवार) पंजाब हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. इससे पहले, बुधवार को लगभग 250 पंचायतों की चुनाव प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. इस संबंध में अदालत का विस्तृत आदेश आ चुका है, जिसमें 16 अक्टूबर तक इन पंचायतों की चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाई गई है.


हाईकोर्ट ने नामांकन रद्द करने पर कड़ी टिप्पणी की है. अदालत का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए. जनता के विश्वास के लिए पारदर्शिता जरूरी है. मतदान न केवल संवैधानिक अधिकार है बल्कि कानूनी अधिकार भी है. कुछ उम्मीदवारों के नामांकन मामूली कारणों से रद्द कर दिए गए, जो कि पूरी तरह गलत है. ऐसी चुनाव प्रक्रिया को रद्द नहीं किया जा सकता. निष्पक्ष चुनाव होना आवश्यक है.

पार्टी के निशान पर नहीं चुनाव, फिर भी विवाद
पंजाब में 15 अक्टूबर को पंचायत चुनाव होने हैं. इस बार पार्टी के चुनाव निशान पर चुनाव नहीं हो रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद विरोधी पार्टियों का आरोप है कि उनके संबंधित लोगों और उम्मीदवारों के नामांकन जबरदस्ती रद्द कर दिए गए हैं. किसी को भी NOC (अनापत्ति प्रमाणपत्र) जारी नहीं किया गया है.


कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल आम आदमी पार्टी पर सवाल उठा रहे हैं. मामला चुनाव आयोग तक भी पहुंच गया है. हालांकि, आम आदमी पार्टी का कहना है कि अकाली दल और कांग्रेस दबाव बना रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि हमारे कार्यकर्ताओं की हत्या तक की गई है. अब लोगों ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का रुख किया है.

1.33 करोड़ लोग डालेंगे वोट


इस समय राज्य में 13,937 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें चुनाव हो रहे हैं. 15 अक्टूबर को होने वाले इन चुनावों में कुल 1.33 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे. चुनावों में 96,000 कर्मचारी तैनात किए गए हैं. सरकार ने शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं. चुनाव तक सभी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. इसके अलावा, मतदान वाले दिन पूरे पंजाब में अवकाश की घोषणा की गई है.