पंजाब सरकार ने दावा किया है कि राज्य में पराली जलाने के मामलों में काफी कमी आई है. भगवंत मान सरकार ने इसके लिए नासा के सैटेलाइट डेटा का हवाला दिया है. सरकार ने कहा कि नासा सैटेलाइट के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में पराली जलाने में 77% की कमी आई है. राज्य सरकार के मुताबिक, 6 अक्टूबर 2023 तक केवल 196 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले साल इसी समय 845 मामले सामने आए थे. इस साल 6 अक्टूबर को केवल तीन नए मामले दर्ज हुए, जबकि 2022 में इस दिन 93 मामले थे.


पंजाब सरकार का कहना है कि पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी का सकारात्मक असर दिल्ली की हवा पर भी पड़ेगा. इस साल पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं कम होने से दिल्ली में वायु प्रदूषण भी घटेगा. राज्य में आम आदमी पार्टी सरकार की जागरूकता मुहिम का बड़ा असर दिखा है. प्रशासन के प्रयासों से किसान फसलों का सही प्रबंधन कर रहे हैं.


जिम्मेदार किसानों पर जुर्माना लगाया जाए


पंजाब सरकार ने पराली जलाने के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं. 65 किसानों की पहचान कर 1.85 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. सरकार के मुताबिक, अब तक 1.70 लाख रुपये की वसूली हो चुकी है और राजस्व रिकॉर्ड में 50 रेड एंट्री दर्ज की गई है.


पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) का मानना है कि पराली जलाने में आई कमी राज्य सरकार और कृषि विभाग के निरंतर प्रयासों और किसानों में बढ़ती जागरूकता का नतीजा है. राज्य में पराली के प्रबंधन के लिए 8,000 मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे लगभग 12.70 मिलियन टन पराली का सही प्रबंधन किया जाएगा, जिसमें से कुछ को चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा.

80% तक सब्सिडी पर लोन योजना

पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए पंजाब के सहकारी बैंकों ने फसलों के अवशेषों के प्रबंधन के लिए 80% तक सब्सिडी पर लोन देने की योजना शुरू की है. इस योजना का उद्देश्य किसानों को फसल अवशेषों के सही प्रबंधन के लिए मशीनरी खरीदने में मदद करना है.

उद्योग और किसानों के बीच साझेदारी


इसके अलावा, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बायो-एनर्जी प्लांट्स का समर्थन करने के लिए उद्योग और किसानों के बीच अधिक से अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने की बात कही है. इसके तहत पराली का उपयोग करने वाले उद्योगों के लिए क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा, जिससे फसल अवशेषों की आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी.