सत्या राजपूत, रायपुर। प्रदेश में आयुष्मान योजना इन दिनों चारागाह बन गया है, निजी हॉस्पिटल जब चाहे वहां से फर्जीवाड़ा कर राशि क्लेम कर रहे हैं, हैरानी की बात ये है कि करोड़ों का फर्जीवाड़ा के बाद भी सिर्फ कार्रवाई के नाम पर मान्यता कुछ महीनों के लिए रद्द कर दी जाती है.

राज्य नोडल एजेंसी छ.ग. से मिली जानकारी के मुताबिक, आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजनांतर्गत नियम विरूद्ध कार्य करने वाले अस्पतालों पर नियमित रूप से कार्रवाई की जा रही है. अस्पतालों के विरूद्ध अनावश्यक अधिक राशि वाले पैकेज ब्लॉक करने, ओपीडी के मरीजों को अनावश्यक आईपीडी मे ब्लॉक करने, बिना मरीज के पैकेज ब्लॉक करने, बिना विशेषज्ञ व सुविधा के ही संबंधित पैकेज ब्लॉक करने, अनावश्यक आईसीयू के पैकेज ब्लॉक करने, अस्पताल में गंदगी व अतिरिक्त नगद राशि लेने की शिकायत प्राप्त हुई थी जिसके कारण अस्पतालों को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया था. अस्पतालों द्वारा प्राप्त स्पष्टीकरण संतोषजनक नही होने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई की गई है.

इन हॉस्पिटलों पर हुई कार्रवाई

सिटी 24 हॉस्पिटल रायपुर, जय पतई माता हॉस्पिटल पटेवा महासमुंद, स्व. विद्याभूषण ठाकुर मेमोरियल हॉस्पिटल राजनांदगांव, सांई नमन हॉस्पिटल महासमुंद, उम्मीद केयर हॉस्पिटल बालोद और वेगस हॉस्पिटल बिलासपुर में शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए इनका योजना अंतर्गत पंजीयन निरस्त किया गया है

मनमानी पर क्यों नहीं लग रही रोक ?

आयुष्मान के नाम पर प्रदेश भर में लूट मची है और ऐसे में दर्जनों शिकायत हर दिन हो रही है, स्वास्थ्य विभाग द्वार 15 दिन महीने भर में कभी एक दर्जन तो कभी आधा दर्जन हॉस्पिटल में लगातार कार्रवाई जारी है बावजूद मरीजों को लौटने का सिलसिला जारी.

कड़ी कार्रवाई नहीं होना वसूली का एक कारण ?

आयुष्मान योजना में लूट इसलिए बंद नहीं हो रहा है क्योंकि कार्रवाई के नाम पर कभी दो माह तो कभी छह महीने के लिए मान्यता रद्द किया जाता है. बाद में फिर से वहीं हॉस्पिटल मान्यता लेकर मरीजों को लूटने के काम करती है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बताते हैं कि प्रावधान के अंदर कार्रवाई करते हैं.

प्रावधान में संशोधन की जरुरत

जिस तरह के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बताते हैं कि प्रावधान में रक़म वसूली और मान्यता रद्द करने के नियम है. इस तरह है ना कभी बात मानी रूका है ना आगे रुकेगा इसलिए इसमें पुलिस कार्रवाई जरूरी है.

भ्रष्टाचार साबित होने पर FIR दर्ज हो

कार्रवाई के रूप में मान्यता रद्द किया जाता है फिर से वही हॉस्पिटल मान्यता लेकर हॉस्पिटल खोल लेते हैं. ऐसे में भ्रष्टाचार साबित होने पर तत्काल FIR कर कर आगे की कार्रवाई होनी चाहिए.