विक्रम मिश्र, लखनऊ। उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग की स्थिति ठीक वैसी है, जैसे कि हाथ तो आया पर मुंह न लगा। बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनता के लिए जनहित के कार्य हेतु लोक निर्माण विभाग को 30 हज़ार करोड़ का बजट दिया था। जिसके एवज में नई सड़को का निर्माण एवं पुरानी सड़को का रखरखाव करना था। लेकिन इस बजट का 50 फीसदी भी अभी तक खर्च नही हो पाया है। ऐसी स्थिति में जनता के हित के लिए आवंटित बजट को मार्च 2025 तक खर्च करना ही होगा। लेकिन धीमी रफ्तार और लोकहित की व्यवस्था से परे हटकर सोचने वाले लोक निर्माण विभाग के अधिकारी 30 हज़ार करोड़ में से मात्र 13 हज़ार करोड़ ही खर्च कर सके है।

धीमी रफ्तार और सुस्त चाल बनी वजह

आपको जानकर हैरानी होगी कि महज 13 हज़ार करोड़ रुपयों की कार्ययोजना को ही अभी तक मंजूरी मिली है। जबकि 17 हज़ार करोड़ रुपये अभी भी विभाग के पास है। जिनका इस्तेमाल नहीं  होने की स्थिति में सरेंडर करना पड़ सकता है। ऐसा पहली बार नही हुआ है इससे पहले 2022-23 में भी पीडब्ल्यूडी को 8914 करोड़ रुपये का भारी-भरकम बजट सरेंडर करना पड़ा था। यह अब तक किसी एक वित्त वर्ष में सरेंडर हुई सबसे अधिक राशि है। जिसको हो सकता है कि इस साल बढ़ाकर 17 हज़ार करोड़ करने की मंशा लोक निर्माण विभाग की हो। 

हालांकि 2022-23 में इस मामले में बार-बार जारी की गई शासन की तरफ से चेतावनी जारी की गई थी जो कि बेअसर रही थी। वित्तीय वर्ष 2024-25 में भी अब बजट वापस करने की स्थिति दिखाई पड़ने लगी है। आपको बता दे कि सरेंडर करने वाली राशि मे अधिष्ठान की राशि शामिल नहीं है।

ब्रज क्षेत्र के विकास पर CM योगी का फोकस: श्रद्धालुओं के लिए बांके बिहारी के दर्शन होंगे आसान, व्यापार और उद्योग को मिलेगा बढ़ावा

इस वित्तीय वर्ष में लगभग 20 हज़ार करोड़ रुपये सड़कों के लिए, 34 सौ करोड़ रुपये सेतुओं के लिए और 500 करोड़ रुपये भवन मद में व्यवस्था की गई थी। स्पेशल कंपोनेंट प्लान के तहत विभिन्न कामों के लिए लगभग 3 हज़ार करोड़ रुपये दिए गए थे। लेकिन अबतक बजट खर्च करने की रफ्तार बेहद धीमी रही। जबकि बड़ी संख्या में सड़कों की हालत बदहाल हो चुकी है।

बजट था फिर मांगा क्यों

लोकहित के लिए अवस्थापना सुविधा के लिए लोक निर्माण विभाग के पास बजट था, बावजूद इसके विभाग की तरफ से अनुपूरक बजट में और अधिक राशि की मांग की गई थी। जिसमें की लगभग 3 हज़ार करोड़ रुपये पुनः आवंटित किए गए। जिसको अगर जोड़ दे तो विभागीय बजट 33 हज़ार करोड़ का हो जाता है। विभागीय रिकॉर्ड के मुताबिक इसमें से लगभग 17 हज़ार करोड़ रुपये 31 मार्च तक उपयोग में न आने के कारण सरेंडर करने पड़ सकते है।