राजनेता राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia) की आज 57वीं पुण्य तिथि है. लोहिया ने एक ऐसी दुनिया का सपना देखा था, जिसमें न सीमाएं हों और न कोई बंधन हो. देश में उन्हीं की विचारधारा पर आज भी कई पार्टियां राजनीति करती है. लोहिया अपने निजी जीवन में लिव इन रिलेशन में रहे थे. वे अविवाहित थे, लेकिन उनकी महिला मित्र और सहयोगी रोमा मित्रा (Roma Mitra) के प्रति उनका प्रेम गहरा था, और वे जीवन भर उनके साथ रहे.
लोहिया की कई महिला मित्र थीं
बता दें कि राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia) का मानना था कि स्त्री-पुरुष के रिश्तों में सब कुछ सहमति के आधार पर जायज है और उन्होंने इस सिद्धांत का पालन अपने जीवन में भी किया. उनकी महिला मित्रों की संख्या काफी थीं, लेकिन उनके साथ कोई विवाद नहीं हुआ. राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia) ताउम्र अपनी साथी रोमा मित्रा (Roma Mitra) के साथ लिव इन रिलेशन में रहे. रोमा मित्रा (Roma Mitra) के साथ लोहिया के संबंध सबसे खास थे. रोमा एक तेज-तर्रार और बुद्धिमान महिला थीं, जो लोहिया के विचारों से प्रभावित थीं. Read More – Bhool Bhulaiyaa 3 का नया पोस्टर आया सामने, दीवाली पर खुलेगा तंत्र और मंत्र के साथ बंधा दरवाजा …
राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia) के भारत लौटने के बाद दोनों के बीच मित्रता बढ़ी, खासकर जब साल 1942 में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन के दौरान लोहिया गिरफ्तार हुए थे. उनके साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहना उस समय के भारतीय समाज में एक क्रांतिकारी कदम था, जब बिना विवाह के एक साथ रहना सामाजिक मान्यताओं के खिलाफ था. लोहिया और रोमा ने इस संबंध को बेहद स्वाभाविक तरीके से गुजारा. राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia) ने उन्हें ध्यान रखने के लिए कहा कि उन्हें डिस्टर्ब न किया जाए, और वे ताउम्र एक-दूसरे के साथ रहे. Read More – 1 साल बाद Honey Singh को आई बहन की याद, सरप्राइज देने मेलबर्न पहुंचे सिंगर …
इस किताब में दोनों के प्रेम पत्रों का है जिक्र
बता दें कि रोमा मित्रा (Roma Mitra) दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज में लेक्चरर थीं. उन्होंने राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia) की मौत के वर्षों बाद 1983 में लोहिया के पत्रों पर एक किताब ‘लोहिया थ्रू लेटर्स’ प्रकाशित की थी. इस किताब में उनके प्रेम पत्रों का भी जिक्र किया गया था. वहीं, साल 1985 में रोमा मित्रा (Roma Mitra) का निधन हो गया, लेकिन उनके और लोहिया के बीच का बंधन और उनके विचार आज भी जीवित हैं.
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