रायपुर. लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व केंद्र सरकार आनन-फानन में खनन परियोजनाओं को मंजूरी देने में लगी हुई है, इसमें राज्य सरकार का वन विभाग जिस तरह से सहयोग करता नजर आ रहा है, उससे इसे वन विभाग की बजाए खनन विभाग कहना उचित लग रहा है. यह आरोप छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने लगाया है.

आलोक शुक्ला ने सरगुजा जिला स्थित हसदेव अरण्य में प्रस्तावित परसा कोल ब्लॉक की वन स्वीकृति का मुद्दा उठाते हुए कहा कि परसा कोल ब्लॉक हेतु 842 हेक्टेयर वन क्षेत्र के लगभग 1 लाख पेड़ कटेंगे. उन्होंने बताया कि प्रस्तावित परसा कोल ब्लॉक की वन स्वीकृति के लिए FAC की बैठक 19 दिसंबर 2018 को हुई. इसके मिनट्स 12 जनवरी 2019 को अपलोड हुए, जिसमें कहा गया कि FAC की सब कमेटी क्षेत्र का भ्रमण करेगी. इसके अगले दिन ही FAC का  एजेंडा आ गया, जिसमें 15 जनवरी को पुनः परसा की वन स्वीकृति के प्रस्ताव पर निर्णय होने की बात कही गई. 

शुक्ला ने सवाल किया कि क्या 3 दिन में ही FAC ने क्षेत्र का भ्रमण कर लिया? और यदि किया हैं तो प्रभावित ग्रामीणों को कोई सूचना या उन्हें अपनी बात रखने का अवसर क्यों नही दिया गया? इसके अलावा प्रभावित गांव में अभी भी वनाधिकार मान्यता कानून की प्रक्रिया लंबित हैं, और ग्राम सभाओं ने वन स्वीकृति के प्रस्ताव का विरोध किया हैं तो फिर FAC इस प्रस्ताव पर चर्चा कैसे कर सकती हैं?

उन्होने कहा कि वनाधिकार मान्यता कानून 2006 में स्पष्ट प्रावधान हैं कि जब तक वनाधिकारों की मान्यता की प्रक्रिया समाप्त नहीं होती और ग्रामसभा लिखित सहमति प्रदान नहीं करता, तब तक किसी भी परियोजना को वन स्वीकृति नहीं मिल सकती. फिर सवाल यह है कि क्या राज्य सरकार इस गैरकानूनी वन भूमि स्वीकृति के प्रस्ताव पर अपनी आपति दर्ज करवाएगी? 

क्यों महत्वपूर्ण हैं यह वन क्षेत्र

  • यूपीए ने इस क्षेत्र को खनन हेतु नो गो क्षेत्र घोषित किया था, जिसका उल्लंघन वर्तमान मोदी सरकार कर रही हैं.
  • इस सम्पूर्ण वन क्षेत्र में schedule 1 के वन्यप्राणी हैं और हाथी का माईग्रेटरी कोरिडोर हैं ( हालाकि वन विभाग इसे छुपता हैं और लिखता हैं की हाथी यदा कदा आते हैं .
  • यह सम्पूर्ण वन क्षेत्र बांगो बैराज का केचमेंट हैं जिससे जांजगीर जिले में 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिचाई होती हैं. 
  • जैव विविधता से परिपूर्ण सघन वन क्षेत्र हैं. 
  • इस वन क्षेत्र को अदानी के मुनाफे लिए लिए उजाडा जा रहा हैं वह भी कानूनों और प्रक्रियाओ को तक पर रखकर l राज्य सरकार इस इस मामले पर शीघ्र हस्तक्षेप की अपेक्षा हैं.

देखिए वीडियो : [embedyt] https://www.youtube.com/watch?v=zWFWjoa9msM[/embedyt]

देखिए कैसे विरोधाभाषी बात