रायपुर। मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेश बघेल आज पहली बार अपने गृह ग्राम बेलौदी गए. यहां उन्होंने करीब 4 घंटे गांव के लोगों से मुलाकात की. भूपेश बघेल गांव में सभी उन जगहों पर गए जिनसे उनकी यादें जुड़ी हुई हैं. वे अपने खेत गए, स्कूल गए, खेल के मैदान गए. लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में उन्होंने कहा कि अपनों के बीच आकर सुखद अनुभूति होती है. पुरानी स्मृतियां ताज़ा होती हैं.

भूपेश बघेल अपने उस प्राथमिक स्कूल गए जहां से उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा ली है . उन्होंने बताया कि बिल्डिंग बदल गई लेकिन परिसर वही है. मुख्यमंत्री भूपेश ने अपने स्कूल के दिनों की याद ताज़ा करते हुए कहा कि पहले इस स्कूल में एक हॉल था. जिसके चारों तरफ बरामदा था. कुछ क्लास हॉल में लगते थे. बाकी बरामदे में. उन्होंने बताया कि स्कूल के छात्र कैंपस में ही साग-सब्जियों की खेती करते थे. फिर उन सब्जियों को बेचकर स्कूल की ज़रुरतें पूरी करते थे. चाहे वो चाक मंगाना हो या 15 अगस्त और 26 जनवरी के मौके पर छात्रों के लिए मिठाइयां. भूपेश बघेल ने बताया कि वे सभी सब्जियों को उगाने के लिए पानी बगल के तालाब से मंगाते थे. वे उसी तालाब में नहाते थे जहां बैल भैस को धोते थे. आम के बगीचे से आम चुराथे थे.

उन्होंने बताया कि जिस हेलिपैड पर उनका हेलीकाप्टर उतरा है उस पर वो कभी क्रिकेट और गिल्ली डण्डा खेला करते थे. उनके बचपन के साथी बताते हैं कि वे बहुत अच्छा खिलाड़ी थे. क्रिकेट में बैटिंग बॉलिंग दोनों करते थे. ऐसी तमाम यादों के साथ भूपेश बघेल ने अपने बचपन के दिनों को भी जिया….अपने गांव के दिनों याद किया.

अपने माटी पुत्र का गांव वालों ने किया आत्मीय अभिनंदन
बतौर मुख्यमंत्री पहली बार मंगलवार को भूपेश बघेल अपने गांव बेलौदी पहुँचे. पाटन के बेलौदी में जैसे ही बघेल पहुँचे अपने माटी पुत्र के अभिनंदन के लिए गांव वालों की भीड़ हेलीपैड स्थल में जुट गई. गांव पहुँचते ही भूपेश बघेल मुख्यमंत्री नहीं रहा. वह अपने गांव में किसी के लिए बेटा, किसी के लिए भाई, किसी के लिए भतीजा, किसी के लिए कका, किसी के लिए भांचा तो किसी के लिए मामा था. वह अपने गांव में वही पुराना भूपेश बघेल था जिसे कोई भी अपने पास नाम लेकर बुला लेता, जिसके पास कोई भी चला जाता था. बघेल के साथ हर कोई अपनी तस्वीर लेने को आतुर था.

पारिवारिक मिलन और अभिनंदन के साथ बघेल ने जब संबोधन शुरू किया तो अपनी महतारी भाषा छत्तीसगढ़ी में सबको प्रमाण करते हुए कहा कि समृद्ध छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिए हमारे पूर्वजों ने जो सपना देखा था, उसे हमें मिल-जुल कर पूरा करना है. उन्होंने छत्तीसगढ़ के विकास में समाज के सभी वर्ग से सहयोग का आह्वान किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गढ़ है. यह धरा पुरातन काल से धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों की जननी रही है.

उन्होंने नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी के महत्व का उल्लेख करते हुए क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था, पशुधन विकास और किसानों के हित में लिए गए कर्जमाफी के ऐतिहासिक फैसलों को दोहराया. उन्होंने अभिनंदन के लिए ग्रामवासियों के प्रति आभार प्रकट किया. बघेल ने ग्रामवासियों के आग्रह पर बेलौदी जलाशय के जीर्णोद्धार के लिए 4 करोड़ रूपए की मंजूरी की घोषणा की. उन्होंने साथ ही गांव में गौरव पथ और सामाजिक भवन के निर्माण की स्वीकृति भी दी.  बघेल ने ग्राम के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय बंशीलाल को भी याद किया. गांव वालों की ओर से सरपंच शंकर बघेल ने ग्रामवासियों अभिनंदन पत्र मुख्यमंत्री को भेंट किया. कार्यक्रम को पूर्व संसदीय सचिव विजय बघेल, सीताराम वर्मा और मेहत्तर लाल वर्मा ने भी सम्बोधित किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने निवास गृह के सामने बरगद का पौधा रोपा. कार्यक्रम में अनेक पंचायत प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे.