नई दिल्ली। भू-राजनीतिक विशेषज्ञ फरीद जकारिया ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भारत की संभावित भूमिका पर जोर दिया है, इसके साथ उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थता करना प्रधानमंत्री मोदी के लिए “वैश्विक राजनेता बनने का एक बड़ा अवसर” है.
राजदीप सरदेसाई के साथ बातचीत में जकारिया ने स्वीकार किया कि भारत पारंपरिक रूप से विदेश नीति के मामलों में तटस्थ रहता है, लेकिन अगर वह चाहे तो “बहुत व्यवहार्य और रचनात्मक भूमिका” निभाने की क्षमता रखता है. इसके साथ उन्होंने वैश्विक मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री मोदी रूस-यूक्रेन संकट में एक मूल्यवान मध्यस्थ के रूप में काम कर सकते हैं.
उन्होंने उल्लेख किया कि कुछ विश्व नेताओं के पास रूस और यूक्रेन दोनों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने की विश्वसनीयता है, उन्होंने केवल दो का हवाला दिया: तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन और प्रधानमंत्री मोदी.
ज़कारिया ने कहा, “यूक्रेन में युद्ध रुक गया है. बहुत कम पक्ष हैं जो दोनों पक्षों से बात करने की विश्वसनीयता रखते हैं… अगर प्रधानमंत्री मोदी किसी तरह की स्थिति का प्रस्ताव करते हैं, जहाँ वे मध्यस्थ के रूप में काम करते हैं, तो मुझे लगता है कि वे बहुत रचनात्मक भूमिका निभा सकते हैं.” जकारिया के अनुसार, इस तरह के कदम से न केवल वैश्विक कूटनीति को लाभ होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि भी बढ़ेगी.
हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि इसके लिए मोदी को “ईमानदार मध्यस्त” की चुनौतीपूर्ण भूमिका निभानी होगी, जो अक्सर कठिनाइयों और आलोचनाओं से भरा होता है. ज़कारिया ने शांति की खोज में भारतीय नेता के कूटनीतिक कौशल और मंच को प्रमुख संपत्ति के रूप में इंगित करते हुए निष्कर्ष निकाला. “यह मोदी के लिए एक वैश्विक राजनेता बनने का शानदार अवसर है, अगर वे ऐसा चाहते हैं,”