इस्लामाबाद. पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी वेलेंटाइन्स डे को लेकर ख्याल कुछ बहुत ज़्यादा अच्छे नहीं हैं. पाकिस्तान के एक विश्वविद्यालय ने ‘वेलेंटाइन्स डे’ की जगह ‘सिस्टर्स डे’ मनाने का एलान किया है. यहां वेलेंटाइन्स डे को पश्चिमी देशों की संस्कृति का हिस्सा चिन्हित करने पर बहस चल रही है. पंजाब प्रांत में कृषि विश्वविद्यालय, फैसलाबाद ने कहा कि युवाओं के बीच पूर्वी देशों की संस्कृति और इस्लामी परंपराओं को बढ़ावा देने के लिये यह फैसला किया गया है. सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा की जा रही है. कुछ लोग इसे नकार रहे हैं. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि इसे हिंदू धर्म के प्रमुख त्यौहार रक्षाबंधन से जोड़ रहे हैं.

विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उप कुलपति जफर इकबाल को उद्धृत करते हुए लिखा गया है, “हमारी संस्कृति में महिलाएं ज्यादा सशक्त हैं और उन्हें बहन, मां, बेटी और पत्नी होने के नाते सम्मान मिलता है.” उन्होंने कहा, “हम अपनी संस्कृति को भूल रहे हैं और पश्चिमी संस्कृति हमारे समाज में जड़ें जमा रही है.’ वेबसाइट पर जारी बयान में कहा गया है, “विश्वविद्यालय 14 फरवरी को महिला छात्रों के बीच विश्वविद्यालय के चिन्ह वाला स्कार्फ, शॉल और और गाउन बांटने के योजना पर विचार कर रहा है.’ विश्वविद्यालय के प्रवक्ता कमर बुखारी ने सोमवार को बताया कि यूएएफ अपनी 14,000 छात्राओं में से कम से कम 1000 छात्राओँ को सिर पर ओढ़ने वाला स्कार्फ बांटने के लिये दान मांग रहा है. उन्होंने कहा कि इस बदलाव का मकसद महिलाओं के प्रति सम्मान को सुनिश्चित करना है. उन्होंने बताया कि लड़के-लड़कियों को इस दिन बुलाया गया है. उनसे कहा गया है कि सिस्टर्स डे में वह हिस्सा लें.

वेलेंटाइन्स डे पाकिस्तान के युवाओं के बीच लगातार लोकप्रिय हो रहा है. कई युवा इस दिन को अपने प्रेमियों को कार्ड, चॉकलेट और तोहफे देकर मनाते हैं. 2017 में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने देशभर में सार्वजनिक जगहों और सरकारी दफ्तरों में वेलेंटाइन्स डे मनाने पर रोक लगा दी दी थी. बीते साल देश के मीडिया नियामकों को भी टीवी और रेडियो स्टेशनों पर वेलेंटाइन्स डे को बढ़ावा देने के प्रति चेतावनी दी गई थी. हालांकि, सोशल मीडिया पर लोग विश्वविद्यालय की इस पहल को खारिज कर रहे हैं. कुछ लोगों को कहना है कि सिस्टर्स-डे को भी हिंदू पर्व रक्षाबंधन से जोड़ा जा सकता है.