नई दिल्ली। भारत में बुनियादी ढांचे को विकसित करने के उद्देश्य से शुरू किए गए PM Gati Shakti को अपनाने के लिए नेपाल और श्रीलंका नई दिल्ली के साथ चर्चा कर रहे हैं. PM Gati Shakti के तीन साल पहले लॉन्च होने के बाद से ₹15 लाख करोड़ से अधिक की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 अक्टूबर, 2021 को नई दिल्ली में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए गतिशक्ति – राष्ट्रीय मास्टर प्लान लॉन्च किया था. इसका दायरा देश-प्रदेश से बढ़कर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर का होने जा रहा है. और इसका सबसे पहला फायदा उठाने की फिराक में पड़ोसी देश श्रीलंका और नेपात हैं, जो स्वयं चीन के बेल्ट एंड रोड (बीआरआई) प्रोजेक्ट के दलदल में धंसे हुए हैं.
उद्योग सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि प्रस्ताव विचाराधीन हैं, और नेपाल जहां परियोजना-विशिष्ट कार्यान्वयन में रुचि रखता है, वहीं श्रीलंका अपने पूरे सिस्टम में पीएम गतिशक्ति को लागू करने में रुचि रखता है. भाटिया ने कहा कि भारत अपने पड़ोसियों को उनकी बुनियादी ढांचा परियोजना नियोजन में सुधार करने में सहायता करने के लिए तैयार है, जो पूरक होगा.
केंद्र और राज्य स्तर पर बड़े पैमाने की परियोजनाओं के कार्यान्वयन के बाद, सरकार जिला-स्तरीय परियोजना नियोजन के लिए उपकरण का उपयोग करने की योजना बना रही है.
भाटिया ने कहा, “पिछले तीन वर्षों में, हमने 15.39 लाख करोड़ रुपये की 208 परियोजनाओं की योजना बनाने के लिए पीएम गतिशक्ति का उपयोग किया है.” डीपीआईआईटी के अनुसार, इस प्रणाली का उपयोग अब 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा किया जा रहा है.
पिछले तीन वर्षों में, 44 केंद्रीय मंत्रालयों को योजना प्रणाली में एकीकृत किया गया है, जिसमें आठ बुनियादी ढांचा मंत्रालय, 16 सामाजिक क्षेत्र मंत्रालय, 15 आर्थिक मंत्रालय और पांच अन्य शामिल हैं.
डीपीआईआईटी के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “1,614 प्रभावशाली डेटा लेयर्स को शामिल किया गया है, जिसमें 726 विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा और 888 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा योगदान दिया गया है. ये सहयोगी प्रयास प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की अधिक कुशल योजना, निष्पादन और निगरानी को बढ़ावा दे रहे हैं.”
कई बुनियादी ढांचा मंत्रालय पीएम गतिशक्ति प्रणाली के तहत राष्ट्रीय मास्टर प्लान का उपयोग कर रहे हैं. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 8,891 किलोमीटर से अधिक सड़क परियोजनाओं की योजना बनाई है, जबकि रेल मंत्रालय ने एनएमपी ढांचे का उपयोग करके 27,000 किलोमीटर से अधिक रेलवे लाइनों की योजना बनाई है.
इस प्रणाली का उपयोग पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा देश भर में तेल और गैस पाइपलाइन बिछाने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है. अधिकारी ने कहा, “अतीत में, परियोजनाओं के लिए विस्तृत मार्ग सर्वेक्षण तैयार करने में छह से नौ महीने लगते थे, लेकिन अब इलेक्ट्रॉनिक डीआरएस रिपोर्ट केवल एक दिन में तैयार हो जाती है. इससे प्रक्रिया सरल और तेज हो गई है.”
उन्होंने कहा, “यह अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली के लिए हरित ऊर्जा गलियारे के संरेखण को अनुकूलित करने में सहायक रहा है, जिससे लेह (लद्दाख) से कैथल (हरियाणा) तक 13 गीगावाट अक्षय ऊर्जा का संचरण सुगम हुआ है.”
राज्य भी इस प्रणाली का महत्वपूर्ण उपयोग कर रहे हैं. गोवा ने बाढ़-ग्रस्त क्षेत्रों के लिए आपदा प्रबंधन योजना विकसित की है, जबकि उत्तर प्रदेश इसका उपयोग नए स्कूलों के लिए स्थानों की पहचान करने के लिए कर रहा है. गुजरात ने अपनी 300 किलोमीटर तटीय गलियारा परियोजना के लिए आवश्यक अनापत्ति प्रमाणपत्रों की संख्या 28 से घटाकर 13 कर दी है.