अमृतसर. अकाली नेता विरसा सिंह वल्टोहा को 15 अक्टूबर को सुबह 9 बजे श्री अकाल तख्त साहिब में पेश होने के आदेश दिए गए हैं. विरसा सिंह वल्टोहा को उस आरोप के सबूत भी लाने को कहा गया है, जिसमें उन्होंने जत्थेदार पर आरएसएस और भाजपा के दबाव में काम करने का आरोप लगाया था.
श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से विरसा सिंह वल्टोहा को लिखित आदेश भेजे गए हैं और उन्हें 9 बजे तक पेश होने के लिए कहा गया है. यह भी कहा गया है कि यदि वह उस समय तक पेश नहीं होते हैं, तो यह माना जाएगा कि विरसा सिंह वल्टोहा ने जत्थेदारों पर दबाव बनाने के लिए उनकी चरित्र हत्या की कोशिश की थी.
विरसा सिंह ने कल अपनी पोस्ट में लगाए थे आरोप
विरसा सिंह वल्टोहा ने हाल ही में एक पोस्ट साझा की थी जिसमें उन्होंने सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जत्थेदार साहिब पर आरोप लगाए थे. उन्होंने लिखा था कि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि शिरोमणि अकाली दल को कमजोर करने वाली साजिशें, जो हमेशा सिख विरोधी ताकतें रचती हैं, हमारे माननीय और देश-प्रमुख संस्थानों तक पहुँच जाएंगी. भगवान करे मेरा यह शक बेबुनियाद हो, क्योंकि ये संस्थाएं सिखों के मान-सम्मान का प्रतीक हैं.
इससे पहले, मैंने अपनी भावनाओं को साझा करते हुए एक फेसबुक पोस्ट की थी, “जत्थेदार साहिबान द्वारा सुखबीर सिंह बादल को तंखैया करार देने के बाद उन्हें सजा देने में इतनी देरी क्यों हो रही है?” फेसबुक पोस्ट के बाद, जो जानकारी मुझे मिली, वह चौंकाने वाली और परेशान करने वाली है. मेरी पहली पोस्ट के बाद हमारे देश के सम्मानित जत्थेदार साहिबान, जो शिरोमणि अकाली दल के समर्थक भी हैं, के कई करीबी लोगों ने मुझसे अलग से संपर्क किया और गंभीर व चिंताजनक जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जत्थेदारों पर बहुत अधिक आंतरिक दबाव डाला जा रहा है. उनका कहना था कि सुखबीर सिंह बादल को श्री अकाल तख्त साहिब से धार्मिक सजा दी जानी चाहिए और शिरोमणि अकाली दल के नेतृत्व को भी अलग किया जाना चाहिए.
इन सूत्रों के अनुसार, सुखबीर सिंह बादल और शिरोमणि अकाली दल पर दबाव डालने वालों में केंद्र सरकार, भाजपा और आरएसएस के साथ-साथ विदेशों में बैठे सिख समुदाय के वे लोग शामिल हैं जो हमेशा अकाली दल के खिलाफ रहे हैं. जब मैं इस स्थिति के इतिहास और वर्तमान परिदृश्य के बारे में सुनता हूं, तो मुझे गहरी चिंता होती है. यह इतिहास रहा है कि श्री अकाल तख्त साहिब और दिल्ली तख्त के बीच हमेशा संघर्ष रहा है, लेकिन अब यह तथ्य कि दिल्ली तख्त का प्रभाव हमारे माननीय धर्मगुरुओं पर भी दिखाई दे रहा है, चिंताजनक है.
मैं यह सच्चाई संगतों के साथ साझा कर रहा हूँ ताकि आम जनता को भी सच्चाई का पता लग सके. एक तरफ, गलत और भ्रामक प्रचार करके लोगों के बीच यह धारणा बनाई गई है कि जत्थेदार साहिब वास्तव में सुखबीर सिंह बादल और शिरोमणि अकाली दल के पक्ष में हैं. जबकि सच्चाई यह है कि हमें बार-बार श्री अकाल तख्त साहिब से शिकायत करनी पड़ती है कि सुखबीर सिंह बादल को धार्मिक सजा देने के फैसले को और आगे न टाला जाए.

जत्थेदार साहिबान से विनम्र निवेदन है कि वे सभी निष्पक्ष होकर सुखबीर सिंह बादल को सिख धर्म के नियमों के अनुसार जल्द से जल्द सजा दें, ताकि अफवाहों पर विराम लग सके. उन्होंने अंत में लिखा कि इस पोस्ट के हर शब्द के लिए मैं जिम्मेदार हूं. मैंने हमेशा अपने शब्दों का इस्तेमाल सम्मान के साथ करने की कोशिश की है, लेकिन अगर किसी को ठेस पहुँची हो तो मैं माफी चाहता हूँ. हम सभी जत्थेदार साहिब का सम्मान करते हैं. हम सभी चाहते हैं कि जत्थेदार साहिब निडर होकर सिखी सिद्धांतों की रक्षा करें और देश का सही मार्गदर्शन करें ताकि सिख समुदाय अपनी बेचैनी से बाहर आ सके.
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