गोविंद पटेल, कुशीनगर. धार्मिक आयोजनों में बज रहे डीजे की आवाज अब लोगों की जिंदगियां छीन रही हैं. शासन की ओर से तय डेसीबल से ज्यादा आवाज में हो रहे आर्केस्ट्रा में बज रहे डीजे के चलते मेले में आए एक युवक की जान चली गई. जिम्मेदार मूकदर्शक बन तमाशा देखते रहे. मामला जनपद के बिशनपुरा थाना क्षेत्र के दुदही नगर पंचायत का है.

बीती रात डोल मेले का आयोजन हुआ था. जिसमें हो रहे आर्केस्ट्रा में तेज धमक के साथ बज रहे डीजे के चलते मेले में मूंगफली बेचने आए युवक के दिल की धड़कन रुक गई. इसके बाद अचानक उसकी धड़कन इस कदर बढ़ी की वह बेहोश होकर गिर पड़ा. परिजन आनन-फानन में उसको मेडिकल कॉलेज गोरखपुर लेकर गए जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.

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मौत की खबर मिलते ही घर में कोहराम मच गया. वहीं परिजनों ने बज रहे डीजे पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. आजकल धार्मिक आयोजनों से लेकर तमाम कार्यक्रमों में शासन की ओर से तय मानक को ठेंगा दिखाते हुए डीजे की आवाज लोगों के लिए आफत बनी हुई है. किसी की मौत हो रही है तो कहीं लोग बहरेपन का शिकार हो रहे हैं तो कहीं दिलों की धड़कनें बंद हो रही हैं. जिसके चलते आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. इसको रोकने में शासन प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है. आए दिन इस तरह घटनाएं हो रही है.

कब तक होगा नियमों का उल्लंघन

सवाल ये है कि आखिर कब तक यूं ही नियमों का उल्लंघन होता रहेगा. मनोरंजन के नाम पर अति का आतंक कब तक चलेगा. वैसे इस पर लगाम लगाने की बात जितनी प्रशासन पर लागू होती है, उतनी ही डीजे के मालिकों पर भी होती है. साथ ही आयोजकों को भी ये ध्यान देना होगा कि धार्मिक आयोजनों के नाम पर अति ना की जाए. अपने मनोरंजन का जरिया ऐसे पवित्र आयोजनों को ना बनाया जाए. ये धार्मिक आयोजन लोगों के कल्याण के लिए होते हैं. ना कि किसी को तकलीफ देने के लिए. लेकिन ये विडंबना है कि आजकल ये परिपाटी चल गई है कि किसी भी तरह के आयोजनों में फुल साउंड में डीजे बजेंगे. भले ही इससे लोगों को तकलीफ हो. लेकिन डीजे तो बजेंगे ही.