Sharad Purnima: पंचांग के अनुसार शरद पूर्णिमा आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दूसरे दिन आती है, ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपने चरम पर चमकता है और 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. इस दिन जब चंद्रमा की किरणें धरती पर पड़ती हैं तो ऐसा लगता है मानों अमृत बरस रहा हो. शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर चंद्रमा के नीचे रखना बहुत शुभ माना जाता है और कहा जाता है कि इस खीर को खाने से स्वास्थ्य में सुधार होता है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है.
Sharad Purnima पूजा
शरद पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का महत्व है. जो श्रद्धालु गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकते, वे एक बाल्टी पानी में थोड़ा सा गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है इसलिए पीला रंग पहनने का बहुत महत्व है. देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा में पीले फूल शामिल होते हैं, आरती की जाती है, विष्णु चालीसा का पाठ किया जाता है, फल और मिठाइयाँ अर्पित की जाती हैं और प्रसाद सभी के बीच बाँटा जाता है.
शरद पूर्णिमा कब है?
इस साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर को रात 8:40 बजे शुरू हो रही है और 17 अक्टूबर को शाम 4:55 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाएगा. इस पर्व पर चंद्रोदय का समय शाम 5.05 बजे होगा. उत्तराभाद्र नक्षत्र और ध्रुव योग और रवि योग के संयोग से यह दिन दो साल बाद मनाया जाएगा.
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