आज पंजाब भर में पंचायत चुनाव के लिए मतदान हो रहा है। राज्य में 13 हजार से अधिक पंचायतें हैं, जिनमें से करीब 3 हजार पंचायतें पहली बार सर्वसम्मति से चुनी गई हैं। बाकी लगभग 10 हजार पंचायतों के लिए लोग सरपंच और पंच चुनेंगे।
जहां ये चुनाव गांवों के लोगों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, वहीं राजनीतिक दलों के लिए इससे भी ज्यादा अहम होते हैं। क्योंकि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले गांवों में अपनी मजबूत उपस्थिति दिखाने का ये बड़ा मौका है।
इसीलिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने इन चुनावों में पूरा जोर लगा दिया है। हालांकि बड़े नेता खुद गांवों में प्रचार करने नहीं गए, लेकिन उनकी नजर वहां हो रही हर घटना पर है, चाहे वो सरकार में हों या विपक्ष में।
पंचायत चुनावों का असर उपचुनावों पर दिखेगा!
पंचायत चुनावों के कुछ हफ्ते बाद ही पंजाब की कई विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, जिनमें बर्नाला और गिदड़बाहा बहुत अहम माने जाते हैं। बर्नाला, संगरूर लोकसभा क्षेत्र में आता है, जहां से मुख्यमंत्री मान 2014 में सांसद चुने गए थे। दूसरी ओर, गिदड़बाहा सीट से अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग विधायक थे, जो अब लुधियाना से लोकसभा सदस्य हैं। कांग्रेस के सूबा अध्यक्ष होने के नाते, उनके लिए इस सीट को जीतना प्रतिष्ठा का सवाल होगा।
बर्नाला और गिदड़बाहा, दोनों सीटों पर शहरी और ग्रामीण वोटरों का खासा महत्व है। शहरों में कांग्रेस पहले से ही मजबूत स्थिति में है, जबकि 2022 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को गांवों से अच्छी वोट मिली थी। पंचायत चुनावों में आम आदमी पार्टी अपने ग्रामीण आधार को और मजबूत करने की कोशिश करेगी, जबकि कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस पाने की कोशिश करेंगे।
चब्बेवाल सीट, जो एक ग्रामीण और अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित सीट है, पर भी मुकाबला दिलचस्प होगा। यहां कांग्रेस के विधायक चुने गए थे, जो अब आम आदमी पार्टी के सांसद बन गए हैं। चब्बेवाल सीट पर भी कांग्रेस बनाम आम आदमी पार्टी का मुकाबला होने की संभावना है। आज के चुनाव से ये साफ हो जाएगा कि गांवों के लोग किस राजनीतिक दल को पंजाब की बागडोर सौंपना चाहते हैं
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