सुरेश पर्तागिरी, बीजापुर : जिला प्रकृतिक से जितना सौन्दर्य है. उतना ही सौन्दर्य अपनी परम्परा, संस्कृति और आध्यात्मिक व धार्मिक करणों से परिपूर्ण है. बीजापुर जिले से 60 किलोमीटर की दूरी पर 18वीं शताब्दी दशक का भगवान श्रीकृष्ण, माता राधा, रुक्मिणी माता जी की मूर्तियां लहलहाती खेतों के बीच एक मंदिर में विराजे हुए हैं. ग्रामीणों और मंदिर के पुजारी के अनुसार- यहां रखी भगवान की मूर्तियां 18वीं शताब्दी की है. ग्राम के पूर्वजों के बताए अनुसार-ग्राम गोरला के पास के जंगलों में 18वीं शताब्दी की प्राचीन मूर्तियाँ एक विशालकाय बरगद पेड़ के नीचे देखी गई थी. इन मूर्तियों को देखने के दौरान ग्रामीण इकट्ठा होकर इन भगवान की मूर्तियों को एक बाँस से बने मछान के नीचे सुरक्षित कर रखा गया. बाद ग्रामीणों द्वारा इन मूर्तियों की पूजा-पाठ किया गया हैं.
पुजारी द्वारा 1994 से पूजा-पाठ व रस्म की जानकारी दी..
गांव के मुखिया व पुजारी पाल देव आनंद राव ने लल्लूराम से कहा कि मेरे पूर्वजों परदादा, दादा के जीवन छोड़ के जाने के बाद इस देवी-देवताओं की पूजा-पाठ की जिम्मा ग्रामीणों ने मुझे सौंपा था. मैं सन 1994 से मछान में रखी गई इन देवी-देवताओं की पूजा-पाठ करते आ रहा हूं. मेरे गाँव के लोगों और मैं स्वयं भी इस पवित्र मंदिर को बनाने में बड़ी सहयोग निभाया है. सन 1994 में भगवान की इन मूर्तियों को बाँस से बने मछान के नीचे रखा गया था. उसके बाद ग्रामीणों के सहयोग से इस मंदिर का निर्माण करवाया गया और आज इस मंदिर में दूर-दराज से अपनी मनोकामना लेके पूजा-पाठ करने पहुंचते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. Read More – 1 साल बाद Honey Singh को आई बहन की याद, सरप्राइज देने मेलबर्न पहुंचे सिंगर …
उन्होंने कहा कि मेरे देखते-देखते कई ऐसे ग्रामीण इस मंदिर में मनोकामना लेकर आए और भगवान श्रीकृष्ण जी ने उन ग्रामीणों को खुशी से उनका झोली भर उनकी मनोकामना पूर्ण भी होती देखी गई और समस्याओं का समाधान भी पूरा हुआ है. कई ग्रामीणों ने मुझे आकर बताया कि जो दम्पत्ति निसंतान थे. वे इस मंदिर में बुधवार और रविवार को आकर यहां पूजा-पाठ करते रहे, और भगवान श्री कृष्ण जी ने खुशी से उनका झोला भर दिया और उन्हें संतान की प्राप्ति भी हुई है और उनकी हर एक समस्या से उन्हें निजात भी मिला. Read More – Bhool Bhulaiyaa 3 का नया पोस्टर आया सामने, दीवाली पर खुलेगा तंत्र और मंत्र के साथ बंधा दरवाजा …
बता दें कि इस मंदिर के कपाट रविवार और बुधवार को ही खोले जाते हैं. मान्यताओं के आधार पर श्री कृष्ण की मंदिर और समक्का, सरक्का भगवान जी का मंदिर ग्राम में विराजमान है. जिसके आधार पर रविवार और बुधवार को ही मंदिर के कपाट खोले जाते हैं.
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