विक्रम मिश्र, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों की घोषणा हो गई है। मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव टाल दिया गया है। केंद्रीय चुनाव आयोग के इस फैसले पर समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में बवाल तय है। इलेक्शन कमीशन के इस फैसले पर सपा विधिक राय ले रही है।

मिल्कीपुर विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी प्रत्याशी बाबा गोरखनाथ जब चुनाव हार गए थे, तो उन्होंने वहां से तब के जीते समाजवादी पार्टी प्रत्याशी अवधेश प्रसाद के जीत को लेकर याचिका दायर की थी। जिस पर अदालत से फैसला नहीं आया है। हालांकि अब अवधेश प्रसाद अयोध्या लोकसभा सीट से जीतकर सांसद बन चुके है।

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भाजपा के लिए सम्मान और प्रतिष्ठा

राम मंदिर के उद्घाटन के कुछ महीनों बाद हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी यह सीट हार गई थी। इसे राम जन्मभूमि आंदोलन से लेकर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा तक मुख्य भूमिका में रही भाजपा को तगड़ी भावनात्मक चोट पहुंची थी। जबकि समय समय पर अखिलेश यादव भी इस विषय पर भाजपा के साथ मज़ा लेते रहते है। यही कारण है कि भाजपा के लिए ये सीट सम्मान और प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है।

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लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद मिल्कीपुर सीट पर जीत का खाका खुद सीएम योगी बुन रहे है। वो खुद दो बार मिल्कीपुर विधानसभा आकर अधिकारियों और नेताओं की बैठक ले चुके है। उन्होंने यहां रोजगार मेला समेत हजारों करोड़ रुपये के विकास कार्यों का लोकार्पण भी किया है। लेकिन राजनैतिक पंडितों के मुताबिक, दलित और मुस्लिम मतदाताओं की वजह से ये सीट भाजपा से फिलहाल दूर मानी जा रही है।

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कांग्रेस बोला हमला

कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा कि मिल्कीपुर में अयोध्या लोकसभा की तरह भाजपा की सबसे बड़ी हार होगी। वहीं निशाना साधते हुए कहा कि एक देश एक चुनाव का राग अलापने वाली BJP एक साथ उपचुनाव भी न करा पाई, तमाम इंजन वाली भाजपा सरकार एक साथ उपचुनाव कराने से डर गई। 10 सीटों के उपचुनाव में मिल्कीपुर विधानसभा चुनाव में एक साथ चुनाव न कर भाजपा ने लोकतंत्र और संविधान की हत्या की है। अयोध्या का अपमान किया है। लोगों के मौलिक मताधिकार के हक को छीना है। मिल्कीपुर के लोग इसका हिसाब किताब बीजेपी को सबसे बड़ी हार देकर करेंगे।