बलरामपुर। एक-दो, आठ-दस, पचास-सौ नहीं बल्कि 680 एकड़ सरकारी जमीन पर लोगों ने कब्जा जमा लिया. इसमें एक-दो नहीं बल्कि न जाने कितने पटवारियों की मिलीभगत रही होगी. लेकिन दाद देनी होगी प्रशासनिक अधिकारियों की, जिन्होंने धैर्य न खोते हुए जांच को सरअंजाम तक पहुंचाते हुए प्रदेश के ज्ञात इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए कलेक्टर रिमिजियस एक्का ने करीबन 400 एकड़ जमीन को राजसात करने का आदेश दिया है. इसे भी पढ़ें : 15 दिनों में उल्टी-दस्त से 7 ग्रामीणों की मौत, शिविर लगाने के बाद भी नहीं थमा गांव में मौतों का सिलसिला, जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान…

बात हो रही है बलराम-रामानुजगंज जिले की रामानुजगंज तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव महाबीरगंज की. गांव के 680 एकड़ सरकारी जमीन पर ग्रामीणों का 1954-55 से अवैध कब्जा जमाकर रखा था. इस पर पूर्व कलेक्टर के कार्यकाल में शिकायत हुई थी. 680 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर ने अपर कलेक्टर को जांच अधिकारी नियुक्त किया. इसके साथ कब्जेधारियों को नोटिस देने के साथ दस्तावेजों को खंगालने का काम शुरू हुआ.

पूर्व अपर कलेक्टर पैकरा सेवानिवृत्त होने के बाद वर्तमान अपर कलेक्टर इद्रंजीत बर्मन ने जांच का दायित्व संभाला. पड़ताल के दौरान जमीन का सीरियल नंबर मिसमैच मिला. इसके अलावा दस्तावेजों में नाम-खसरा दर्ज करने में इस्तेमाल की गई स्याही का रंग अलग-अलग मिला. इसके साथ रिकार्ड में लिखावट अलग-अलग मिली. वहीं दूसरी ओर 18 कब्जेधारियों (पूरे 680 एकड़ के कब्जेधारियों) से दावा-आपत्ति मंगाई गई.

पटवारी द्वारा दर्ज दस्तावेजों में मिली असंगति और कब्जेधारियों द्वारा दावा-आपत्ति पर जवाब दे पाने में नाकामी को देखते हुए जांच अधिकारी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट बनाई, जिसके आधार पर अब जाकर कलेक्टर रिमिजियस एक्का के आदेश पर राजसात करने की कार्रवाई की गई है. फिलहाल, करीबन 400 एकड़ को ही कब्जा मुक्त कराकर सरकारी दस्तावेजों में फिर से दर्ज किया गया है. बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में इसी तरह की कवायद शेष जमीन को लेकर भी की जाएगी.

प्रशासन की मजबूरी, किस-किस पटवारी को पकड़े

महाबीरगंज में अवैध कब्जे का खेल एक-दो दशक का नहीं बल्कि 1954-55 से खेला जा रहा था. जांच के दौरान जांच अधिकारी के सामने बात साफ हो गई कि इस पूरी गड़बड़ी में पटवारियों का बड़ा हाथ है. लेकिन प्रशासन की ऐसी मजबूरी है कि वह चाहकर भी पटवारियों को पकड़ नहीं सकता, क्योंकि किस पटवारी ने कहां कलम फंसाया था, यह स्पष्ट नहीं हो रहा है. ऐसे में प्रशासन पटवारियों पर कार्रवाई करने में अक्षम है.

बड़े-बड़े रकबा हथियाया, बेचने की थी तैयारी

बताया जा रहा है कि अवैध कब्जेधारियों ने एक-दो एकड़ नहीं बल्कि 18-18, 20-20 एकड़ से ज्यादा जमीन पर कब्जा किया हुआ था. जिस जमीन पर कब्जा किया गया था वह कोयला खदान क्षेत्र में आता है. ऐसे में कब्जेधारी काले सोने वाली इस जमीन को बेचकर वास्तविक सोना खरीदना चाहते थे. लेकिन प्रशासन की कार्रवाई से उनकी यह मुराद अधूरी ही रह गई.

जिन कब्जाधारियों से खाली कराई गई जमीन

कलेक्टर रिमूजियूस मिंज के आदेश से जिन कब्जेधारियों के कब्जे से जमीन खाली गई है, उनमें इसहाक पिता नान्हू मिंया, सागर पिता ठूपा, खेलावन पिता घोवा, गुलाम नबी पिता जसमुद्दीन, मोइनुद्दीन पिता रहीम, चांद मोहम्मद पिता कलम मिंया, मंगरी पिता मोहम्मद अली और रसुलन पिता हुसैन मिंया शामिल हैं.