Diwali 2024: दिवाली यानी हिंदू सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व. इस साल दीपोत्सव की शुरुआत 29 अक्टूबर से होने जा रही है. दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी. हिंदू धर्म के अंतर्गत इस त्यौहार को अलग-अलग क्षेत्रों के लोग अलग-अलग रीति-रिवाज से मनाते हैं. सबकी अपनी धार्मिक मान्यताएं हैं. मगर, इनमें एक बात लगभग सभी रीति-रिवाज में कॉमन है, वह है माता महालक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा. मान्यतानुसार माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां धनतेरस के दिन लाई जाती हैं. दिवाली के दिन पूरे विधि-विधान से इनकी पूजा होती है.
इन मूर्तियों को खरीदते वक्त लोग कुछ गलतियां करते हैं. वे क्या हैं, आईए आर्टिकल में इनके बारे में जानते हैं.
मूर्तियां आपस में जुड़ी न हों
वेद-पुराणों के अनुसार भगवान गणेश और माता महालक्ष्मी की मूर्ति आपस में जुड़ी नहीं होनी चाहिए. मूर्तियां अलग-अलग ही खरीदें.
भगवान आराम की मुद्रा में हों
इस दौरान ध्यान दें कि दोनों मूर्तियां बैठी हुई मुद्रा में हों, खड़ी न हों. मां लक्ष्मी की मूर्ति कमल के फूल पर बैठी हो. एक हाथ में कमल हो. दूसरे हाथ से वे आशीर्वाद दे रही हों. मूर्ति में धन का बर्तन भी दिखाई दे. मूर्ति का रंग गुलाबी हो. इसी तरह भगवान गणेश की मूर्ति में सूंड बाईं ओर हो. एक हाथ में मोदक हो. उनका सबसे प्रिय वाहन मूषक उनके साथ हो. ये मूर्तियां मिट्टी की बनी हों. किसी अन्य धातू की नहीं, क्योंकि मिट्टी सबसे शुभ-पवित्र मानी गई है.
Diwali 2024 ऐसी मूर्तियां न खरीदें
बाजार में कई ऐसी भी मूर्तियां हैं, जिनमें मां लक्ष्मी उल्लू पर सवार हैं. ऐसी मूर्ति न खरीदें. ध्यान रखें कि दोनों ही भगवानों में से किसी की भी मूर्ति का रंग काला या सफेद न हो.
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