शुभम नांदेकर, पांढुर्णा। मध्य प्रदेश के पांढुर्णा नगर पालिका में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की अनुपस्थिति न केवल नगर के विकास कार्यों को प्रभावित कर रही है, बल्कि नागरिकों की शिकायतों का समाधान भी बाधित हो रहा है. इससे नगर में असंतोष और अव्यवस्था का माहौल बन रहा है. जिसे दूर करने के लिए त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है. जनप्रतिनिधियों को यह समझना चाहिए कि वे जनता के सेवक हैं और उनकी उपस्थिति नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अनिवार्य है.

नागरिक सेवाओं में देरी

नगर पालिका में जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण नागरिक सेवाओं में भारी देरी हो रही है. नागरिकों को लाइसेंस प्राप्त करने, टैक्स जमा करने और अन्य आवश्यक प्रशासनिक कार्यों के लिए नगर पालिका का चक्कर लगाना पड़ता है. लेकिन कार्यालयों में अधिकारी नहीं रहते. नगर पालिका के प्रमुख जैसे अध्यक्ष संदीप घाटोडे, उपाध्यक्ष ताहिर पटेल और मुख्य नगर पालिका अधिकारी नितिन बिजवे, सहायक यंत्री सोनू सकवार, बड़े बाबू मर्सकोल्हे भी अक्सर गायब रहते हैं. वहीं अध्यक्ष के कक्ष में उपस्थित दो महिला पार्षदों का भी कहना था कि अध्यक्ष कम ही आते हैं. जिससे आम जनता की शिकायतों का कोई निपटारा नहीं हो पा रहा है. नागरिकों की सुनवाई न होने से उनकी समस्याएं बढ़ती जा रही है.

विकास कार्य ठप

नगर पालिका में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की गैरहाजिरी से विकास कार्य भी बाधित हो रहे हैं. सड़क निर्माण, जल आपूर्ति, सफाई व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए आवश्यक निर्णय नहीं लिए जा रहे हैं. इसके कारण शहर में विभिन्न परियोजनाएं लंबित हैं और स्थानीय विकास में ठहराव आ गया है. सफाई व्यवस्था चरमराने से नगर की स्वच्छता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.

नागरिकों की शिकायतें अनसुनी

जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की अनुपस्थिति से नागरिकों की शिकायतें अनसुनी रह जाती हैं. रोजाना दर्जनों फरियादी नगर पालिका कार्यालय में अपनी समस्याओं का समाधान खोजने आते हैं. लेकिन कार्यालय में कोई जिम्मेदार व्यक्ति न होने के कारण उन्हें बिना समाधान के वापस लौटना पड़ता है. नागरिकों की शिकायतों का समाधान न होने से जनता में असंतोष और निराशा बढ़ती जा रही है.

भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का माहौल

जिम्मेदारों की अनुपस्थिति ने अव्यवस्था और भ्रष्टाचार को भी जन्म दिया है. बिना जिम्मेदार अधिकारी की निगरानी के कई मामलों में विभागीय गड़बड़ी और अनियमितताएं सामने आई हैं. नागरिकों के कार्यों में देरी और बुनियादी सुविधाओं की अनुपलब्धता ने सरकारी तंत्र की कमजोरी को उजागर किया है.

जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी पर सवाल

इस स्थिति ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या जनप्रतिनिधि चुनाव जीतने के बाद पांच साल तक जनता की समस्याओं से मुंह मोड़ लेते हैं? नगर के विकास और नागरिक सुविधाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. लेकिन उनकी अनुपस्थिति से नागरिकों का विश्वास डगमगाने लगा है.

समाधान की दिशा में कदम

इस समस्या के समाधान के लिए नगर पालिका प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है. सबसे पहले जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारणों की जांच होनी चाहिए. उनकी नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम लागू किए जाने चाहिए. ताकि नगर के विकास कार्य और नागरिक सेवाएं प्रभावी रूप से संचालित हो सके.

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