सत्या राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य में मेडिकल पाठ्यक्रमों की वैधता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। एफआरसी एक्ट और राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार, किसी भी प्रोफेशनल मेडिकल कोर्स को संचालित करने के लिए केंद्रीय या राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालय से संबद्धता आवश्यक है। बावजूद इसके, कई संस्थान खुद को मेडिकल साइंस इंस्टीट्यूट के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं और छत्तीसगढ़ के बाहर से बैचलर ऑफ फिजियोथैरेपी एवं मास्टर ऑफ फिजियोथैरेपी की डिग्री दिलाने का दावा कर रहे हैं। बीते 30 सितंबर को लल्लूराम डॉट कॉम ने राजधानी रायपुर में बिना किसी मान्यता के संचालित Apple Institute of Medical Science नामक फर्जी कॉलेज का भंडाफोड़ किया था। जिसपर संज्ञान लेते हुए अब इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपिस्ट (छत्तीसगढ़ ब्रांच) ने इस तरह से संचालित हो रहे और भी कई फर्जी कॉलेज और उनके खेल के बारे में खुलकर बताया है, साथ ही शासन से इनपर सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपिस्ट (IAP) छत्तीसगढ़ ब्रांच के सचिव डॉ अखिलेश साहू ने बताया कि हाल ही में लल्लूराम डॉट कॉम ने “Apple Institute of Medical Science” के संचालन की वैधता पर सवाल उठाए हैं। इस संस्थान के संचालक ने ऑन कैमरा फिजियोथैरेपी पाठ्यक्रम के लिए किसी भी प्रकार की संबद्धता से इनकार किया। उनका कहना है कि वे विभिन्न विश्वविद्यालयों से डिग्री प्रदान कर रहे हैं, जो मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में स्थित हैं। ऐसे संस्थानों का चार साल का संचालन यह दर्शाता है कि सरकार ने अब तक इनके खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की है।
प्रदेश में वर्तमान में सक्रिय अनधिकृत संस्थान
डॉ अखिलेश साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ में ए पी जे इंस्टिट्यूट कांकेर, छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज बिलासपुर, आचार्य अभिलाष पैरामेडिकल इंस्टिट्यूट बेमेतरा, और चैतन्य इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस रायपुर जैसे कई अन्य अनधिकृत संस्थान भी सक्रिय हैं। डॉ. साहू का कहना है कि ऐसे संस्थान स्वास्थ्य शिक्षा की गुणवत्ता को कमजोर कर रहे हैं और अकुशल व्यक्तियों को प्रशिक्षित फिजियोथैरेपिस्ट के रूप में तैयार कर रहे हैं, जो जन स्वास्थ्य के लिए खतरा है।
छत्तीसगढ़ में केवल दो कॉलेज मान्यता प्राप्त
डॉ अखिलेश साहू ने बताया कि फिजियोथेरेपी उपचार की बढ़ती जरूरत को देखते हुए मान्यता प्राप्त कॉलेजों से डिग्री प्राप्त फिजियोथेरेपिस्ट की मांग भी बढ़ी है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में केवल दो कॉलेज, गवर्नमेंट फिजियोथैरेपी कॉलेज रायपुर और अपोलो कॉलेज ऑफ फिजियोथैरेपी, अंजोरा दुर्ग, आयुष विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त हैं।
उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी चिकित्सकों की जरूरत बढ़ते देख कई तकनीकी विश्वविद्यालय और निजी संस्थान फर्जी तरीके से फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम का संचालन करने का दावा करते हुए नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं और दूर से ही पैसे के एवज में डिग्री बांट रहे हैं। ये सभी संस्थान फिजियोथेरेपी को पैरामेडिकल कोर्स लिखकर प्रमोट कर रहे हैं, जो पूर्णतः गलत है।
फिजियोथेरेपी को इंडिपेंडेंट प्रैक्टिस का अधिकार
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने फिजियोथेरेपी की महत्ता देखते हुए फिजियोथेरेपी को स्वतंत्र (इंडिपेंडेंट) प्रैक्टिस का अधिकार दिया है और नेशनल अलाइड एंड हेल्थ केयर प्रोफेशनल कमीशन एक्ट 2021 में फिजियोथेरेपी को “हेल्थ केयर” की श्रेणी में रखा है, ना कि अलाइड हेल्थ की श्रेणी में। राज्य में वर्तमान में फिजियोथेरेपी की स्वतंत्र कौंसिल है, जो कि पैरामेडिकल कौंसिल से अलग है। फिजियोथेरेपी चिकित्सक स्वतंत्र रूप से विभिन्न बीमारियों के निवारण, स्क्रीनिंग, रोग निदान, उपचार, स्वास्थ्य संवर्धन और स्वस्थ्यता के लिए पूरे 5 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद डिग्री प्राप्त करते हैं। केंद्र के निर्देशानुसार राज्य में अलाइड एंड हेल्थ केयर प्रोफेशनल कौंसिल बननी है, जो प्रक्रियाधीन है और इस पर एसोसिएशन नजर रख रही है।