सत्या राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ में निजी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई स्पॉन्सर्ड कोटे को लेकर उठे विवाद के बाद 19 अक्टूबर से दस्तावेजों की जांच शुरू हुई थी, जिसका आज आखिरी दिन था। मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि कोर्ट के निर्देशानुसार उन विद्यार्थियों के दस्तावेज़ का नियमानुसार सत्यापन किया जा रहा है, जिन्हें NRI कोटे में सीट आवंटित की गई है। सत्यापन प्रक्रिया के बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट होगी और रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने स्पष्ट किया, “सत्यापन नहीं तो सीट नहीं,” जिसका मतलब यह है कि यदि आवंटित सीट के विद्यार्थी दस्तावेज़ सत्यापन कराने में असमर्थ रहते हैं, तो निर्धारित समय सीमा के बाद उनकी सीट स्वतः निरस्त मानी जाएगी। उन्होंने बताया कि NMC के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सत्यापन के बाद अगर कोई सीट खाली रहती है, तो आगे की भर्ती प्रक्रिया के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) से मार्गदर्शन लिया जाएगा।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में SLA (C) 22174/ 2024 पंजाब व अन्य विरुद्ध निर्णय दिया गया। इसमें एमबीबीएस एनआरआई स्पॉन्सर्ड कोटा को फ्रॉड कहते हुए एनआरआई कोटे पर एनआरआई छात्रों को ही प्रवेश देने की बात कही गई थी। इसके बाद भी प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों की एनआरआई स्पॉन्सर्ड कोटा सीट पर सेकंड राउंड काउंसिलिंग हुई। 50 छात्रों के एडमिशन भी हुए। उधर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने महाधिवक्ता से अभिमत मांगा और फिर तय किया गया था कि एनआरआई कोटे से प्रवेशित छात्र और पंजीकृत छात्रों के दस्तावेज की जांच कराई जाए।

राज्य में एनआरआई की 103 सीट

राज्य में वर्तमान में पांच निजी मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं। एकमात्र कॉलेज में अप्रवासी भारतीय कोटे की 15 सीट है और बाकी चार में 22 सीट निर्धारित है। दूसरे राउंड की काउंसिलिंग तक 93 सीटों पर प्रवेश पूरा कर लिया गया था, शेष 10 सीटों पर एडमिशन मॉपअप के माध्यम से दिया जाना था। इसके बाद मंगलवार 15 अक्टूबर को मॉपअप राउंड के आवंटन को स्थगित करने का आदेश जारी किया गया था।

खाली सीटें सामान्य छात्रों को

काउंसिलिंग के दौरान अगर निजी मेडिकल कॉलेज में एनआरआई कोटे की सीट खाली रह जाती है, तो उसका आवंटन नीट के आधार पर सफल सामान्य छात्रों को किया जाएगा। इसका सीधा लाभ प्रदेश के उन मेधावी छात्रों को मिलेगा, जो थोड़े कम अंक की वजह से एडमिशन से चूक जाते हैं।

लगेगी धांधली पर रोक

पुराने नियम के आधार पर एनआरआई कोटे से एडमिशन के नाम पर एक करोड़ से ज्यादा राशि में एमबीबीएस की सीट बेचने का गोरखधंधा इस आदेश के लागू होने के बाद थम जाएगा। अब तक वर्ष 2018 के नियम के आधार पर इस श्रेणी की सीटों का आवंटन किया जाता था, जिसका लाभ ऐसे छात्र भी उठाते थे जो अपात्र थे।

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