प्रतीक चौहान. दूसरो का हिसाब-किताब ठीक करने वाले GST विभाग में दो क्लर्क ने अपने विभाग में ही ऐसा खेल किया कि पूछिए मत… 96.6 प्रतिशत अंक हासिल करने के बाद जीएसटी के दो भृत्य, अब क्लर्क बन गए है. लेकिन ये कैसा इत्तेफाक है कि दोनो बाबू के 8वीं के अंक एक समान है.
यहां तक भी सब कुछ ठीक यदि मान भी ले तो ये कैसे मान सकते है कि इतने होनहार बच्चों ने 22 और 23 साल की उम्र में 8वीं पास की हो… अब आप ये भी कह सकते है कि शायद वो कई बार फेल हुए होंगे और बाद में वो इतने होशियार हो गए कि उन्हें 96.6% हासिल कर लिए हो.
यहां तक भी मान ले तो ये कैसे संभव है कि दोनो होनहार छात्रों की नौकरी भी जीएसटी में ही लगी, दोनो एक ही साल में पास हुए. खैर… इतने इत्तेफाक कैसे हुए ये जांच विभाग करेगा, लेकिन ये पूरा माजरा क्या है आपको बताते है.
दरअसल जीएसटी विभाग रायपुर में पदस्थ दो बाबूओं की मार्कशीट लल्लूराम को मिली है. जिसको देखने के बाद ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि भृत्य से बाबू बने भागवत प्रसाद और किशोर कुमार पटेल दोनो के 8वीं में अंक 96.6% है.
मार्कशीट के मुताबिक दोनो ने 2009 में ही शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला गोरबा (सारंगढ़-बिलाईगढ़) से पास हुए. मार्कशीट के मुताबिक भागव प्रसाद पिता घन्श्याम की अंकसूची क्रमांक 69, जिसका रोल नंबर 805015369 है. इसमें उनकी जन्मतिथि 15 जुलाई 1987 लिखी है. यानी 22 साल की उम्र में उन्होंने 8वीं की परीक्षा पास की.
वहीं जीएसटी में ही भृत्य से बाबू बने किशोर कुमार पटेल (मार्कशीट में नाम किशोर कुमार) पिता का नाम स्पष्ट नहीं है, लेकिन जो दिख रहा है उसके मुताबिक पटवनद या पष्टवदन, मां श्रीमति चन्द्रिका लिखा हुआ है. 8वीं की इस मार्कशीट में उन्हें भी 500 में से कुल 483 अंक हासिल कर 96.6 प्रतिशत मिले. इसमें रोल नंबर 805015381 और अंक सूची क्रमांक 81 दर्ज है.
लेकिन बात यही खत्म नहीं होती है. इतने होनहार छात्रों का भृत्य बनकर नौकरी करने के पीछे की वजह जानने के लिए स्कूल में रोल नंबर के आधार पर जानकारी एकत्र की गई, तब और चौंकाने वाला खुलासा हुआ.
स्कूल से मिली जानकारी के मुताबिक उक्त दोनो रोल नंबर वर्ष 2009 में किसी और छात्र के थे और वो दोनो परीक्षा में अनुपस्थित थे. इसकी कॉपी भी लल्लूराम डॉट कॉम के पास मौजूद है.
अब सवाल ये है कि क्या जीएसटी के जिम्मेदार अधिकारी विभाग में पदस्थ दोनो बाबूओं के दस्तावेज क्रास चेक कर कोई कार्रवाई करेंगे ? इन दस्तावेजों में कितनी सच्चाई है इसका खुलासा विभाग के जांच करने के बाद ही स्पष्ट होगा.
वहीं लल्लूराम ने किशोर पटेल से उनका पक्ष जानने उन्हें फोन किया. तो उनका कहना था कि लल्लूराम जांच करवा ले और लल्लूराम को जो खबर छापनी है छाप लें. इसके बाद लल्लूराम ने उन्हें 8वीं की अंकसूची (जो मौजूद है) वो भेजी और पूछा कि क्या ये अंकसूची उनकी है ? इसका जवाब उन्होंने मैसेज में दिया कि ये कहां से मिली ?
इसके बाद लल्लूराम ने पुनः उन्हें फोन किया, तो उनका कहना था कि ये शासकीय दस्तावेज है और आपके पास (लल्लूराम के पास) कहा से आए. पुनः संवाददाता ने उन्हें कहा कि वो ये स्पष्ट करें कि ये उनकी है या नहीं… तो उन्होंने पुनः कहा, आपको जो छापना हो छाप लें, ये कहते हुए उन्होंने फोन रख दिया.
लल्लूराम ने जीएसटी के जिम्मेदारों से भी संपर्क कर उनसे उनका पक्ष लेने का प्रयास किया, लेकिन देर रात होने की वजह से विभाग के जिम्मेदार का पक्ष प्राप्त नहीं हो सका.