Diwali 2024: दिवाली हो और मिठास यानी मिठाई का बात न हो, तो यह संभव ही नहीं है, यह मिठाई बांटने का त्यौहार है. आज हर मोहल्ले-मोहल्ले, गांव-गांव, शहर-शहर मिठाईयों की दुकानें सज चुकी हैं, इसमें मावा, बेसन, छैना, चूरमा, नारियल समेत कई और खाद्य सामग्री से मिठाईयां बनाई जाती हैं. ये रंग-बिरंगी भी होती हैं, और बहुत ही अट्रैक्टिव भी दिखती है, मगर, इनमें डाले जाने वाला रंग नुकसान पहुंचा सकता है.
आज हम इस आर्टिकल में मिठाईयों में मिलाने वाले सिंथेटिक (रासायनिक) कलर के बारे में जानेंगे, इनसे शरीर को होने वाले नुकसान के बारे में जानेंगे, यह भी जानेंगे कि बाजारों से कौन सी मिठाईयां खरीदनी चाहिए.
Diwali 2024: कैंसर का खतरा
कुछ रासायनिक रंगों में कार्सियोजनिक यानी कैंसर पैदा करने वाले तत्व होते हैं. खासकर लाल, नारंगी और पीले रंग में, इन रंगों के इस्तेमाल से भले ही मिठाईयां कलरफुल और एक्ट्रेक्टिव दिखाई दें मगर ये टॉक्सिन्स बढ़ाते हैं, इनसे कैंसर का होने का खतरा बढ़ जाता है.
प्राकृतिक रंगों की कमी
मिठाईयों में प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल नहीं किया जाता, जबकि ये सेहत के लिए सुरक्षित है, प्राकृतिक रंग जैसे- हल्दी, बीटरूट, पालक, इनसे मिठाईयां सुरक्षित रहती हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल बहुत ही कम दुकानदार करते हैं.
Diwali 2024: डायबिटीज और मोटापे का खतरा
रंगीन मिठाइयों में शक्कर और कैलोरी बहुत अधिक होती है, अब अगर आप इनका सेवन करते हैं तो समझिए आपका वजन बढ़ना तय है. वजन बढ़ना यानी मोटापा, अब मोटापे के साथ अन्य बीमारियां भी घेरेंगी, इन रंगीन मिठाईयों का असर बच्चों पर सर्वाधिक पड़ता है. वह इसलिए क्योंकि बच्चों को इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, इन्हें खाने के बाद पेट दर्द, उल्टी, या खुजली जैसी शिकायतें आम हैं.
तो ये करें
बाजार में अच्छी दुकान से, बिना रंग वाली मिठाईयां लें, कोशिश करें कि घर में मिठाईयां बनाएं, क्योंकि दिवाली में कोई बीमार पड़ना नहीं चाहेगा, इसलिए अच्छी मिठाई लें, खाएं और खिलाएं, मिठास बढ़ाएं,और अगर मार्केट से मिठाई लेनी ही है तो ऐसी मिठाई लें जिसमें किसी तरह के रंग का यूज़ बिल्कुल न हुआ हो.
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