टुकेश्वर लोधी, आरंग. इसमें कोई शक नहीं है कि आरंग नगर पालिका में पिछली कांग्रेस शासनकाल में अरबों रुपए के विकास कार्य हुए, लेकिन ये भी सच है कि विकास कार्यों की गुणवत्ता और धीमी गति से निर्माण कार्य ने शासन से लेकर प्रशासन तक सबकी पोल खोलकर रख दी. प्रदेश में सत्ता बदलते ही आरंग क्षेत्र के कई बड़े प्रोजेक्ट रुक गए हैं. कई ऐसे हैं जो पिछली सरकार की गलतियों की गवाही दे रहा है. ऐसा ही एक गवाह है आरंग के वार्ड नं 03 का झलमला तालाब. झलमला तालाब आरंग का सबसे बड़ा तालाब है, जो पहले 36 एकड़ में फैला था, लेकिन पिछले कुछ समय से विकास कार्यों की अंधी दौड़ में ये तालाब सिर्फ 22 एकड़ में ही सिमट कर रह गया है.

झलमला तालाब का दुर्भाग्य यही है कि यहां नगर से कई वार्डों का गंदा पानी नालियों के माध्यम से तालाब में आता है और इसी तालाब का उपयोग मजबूर होकर सैकड़ों लोग निस्तारी के रूप में कर रहे हैं. तालाब में मछली पालन को लेकर उपजा विवाद किसी से छुपा नहीं है. एक तरफ वार्ड के लोग झलमला तालाब में मछली पालन का लगातार विरोध करते आ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ मछली पालन करने वाले मछुआ संघ अपनी आजीविका का साधन बताकर मछली पालन करते आ रहे हैं, लेकिन बीते कुछ समय में यहां हजारों की संख्या में मछलियों की मौत हो गई, जिससे इतनी बदबू फैल गई कि तालाब में लोगों का स्नान करना तो दूर तालाब के आसपास गुजरना भी बंद हो गया था.

वार्ड पार्षद ने मामले की जानकारी नगर पालिका सीएमओ शीतल चंद्रवंशी को दी. इसके बाद आनन फानन में तालाब की सफाई कराई गई है, लेकिन सिर्फ सफाई से इस तालाब की समस्या दूर हो ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है. इसके पहले भी तालाब की विभिन्न समस्याओं को लेकर वार्ड पार्षद सीमा नरेंद्र लोधी और वार्ड की जनता लगातार नगर पालिका परिषद में अधिकारियों को अवगत कराते आ रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया है.

झलमला तालाब के सौंदर्यीकरण का काम अभी तक अधूरा

पिछली कांग्रेस शासन काल में झलमला तालाब के सौंदर्यीकरण और विकास के लिए 05 करोड़ 64 लाख रुपए स्वीकृत हुए और बलौदाबाजार के जितेंद्र केशरवानी को इसका कार्य सौंपा गया। वर्क ऑर्डर 05.06.2021 से था और वर्षा ऋतु सहित 04.12.2022 तक झलमला तालाब का कायाकल्प होना था, लेकिन इसके उलट तालाब में सौंदर्यीकरण और विकास का कार्य मानो कछुए की चाल से भी धीमा चल रहा है। आरंग नगर पालिका अपने चहेते ठेकेदारों के ऊपर इतने मेहरबान है कि नगर पालिका के दस्तावेजों में कार्य लगभग पूर्ण की दिशा में है और इसके लिए ठेकेदार जितेंद्र केशरवानी को लगभग 04 करोड़ का भुगतान भी कर दिया गया है। तालाब में कार्य को लेकर जब भी वार्ड पार्षद ने शिकायत किया है तब पालिका द्वारा ठेकेदार को सिर्फ नोटिस देकर ही इसकी खानापूर्ति की जा रही है। इसके अलावा तालाब की गंदे पानी को साफ करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए 1 करोड़ 68 लाख 42 हजार रुपए की स्वीकृती हुए है इस कार्य को श्याम बिल्डकॉम बरमकेला को दिया गया है लेकिन यह कार्य भी पिछले 10 माह से बंद हो चुका है।

बुजुर्ग महिला ने कहा – तालाब का मूल स्वरूप वापस लौटा दो

विकास कार्य और सौंदर्यीकरण के नाम पर झलमला तालाब की ऐसी दुर्दशा देखकर तालाब में निस्तारी करने वाले बुजुर्गों की आँखें तक नम हो जाती है।वार्ड की 75 वर्षीय मानबाई निषाद बताती है कि पहले झलमला तालाब के पानी से लोगो के घरों में भोजन बनता था और लोग इसे पीने के लिए भी उपयोग करते थे।समय बीतता गया तालाब में नालियों की गंदी पानी को भरा जा रहा है जिससे तालाब का पानी काफी दूषित हो गया है। इसके कारण लोगों को फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी भी हो रही है।तालाब में विकास के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार हो रहा है।मानबाई निषाद कहती है कि “ऐसे विकास का क्या मतलब जिससे झलमला तालाब का अस्तित्व ही मिट जाए। हमें तो झलमला तालाब का वही पुराना स्वरूप ही लौटा दे जिसे हम वर्षों से देखते आए है।”

ठेकेदार की मनमानी से तालाब का हुआ ऐसा हाल: पार्षद सीमा

वार्ड नं 03 की पार्षद सीमा नरेंद्र लोधी बताती है कि झलमला तालाब के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए जब करोड़ो रुपए स्वीकृत हुए तब आम जनता को उम्मीद थी कि झलमला तालाब विकास का नाम पर रायपुर के तेलीबांधा तालाब और बूढ़ातालाब को भी पीछे छोड़ देगा,लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। अब लगता है कि झलमला तालाब में हुए कार्य ने भ्रष्टाचार के मामले में प्रदेश के सभी तालाबों को पीछे छोड़ दिया है। तालाब में जब भी काम हुआ गुणवत्ताहीन कार्य हुआ,जिसकी शिकायत नगर पालिका में होती रही लेकिन ठेकेदार द्वारा मनमानी और नगर पालिका के अधिकारियों की अनदेखी ने झलमला तालाब का अस्तित्व खतरे में डाल दिया है।

जिम्मेदारों पर होगी कार्रवाई : सीएमओ शीतल चंद्रवंशी

वही इस पूरे मामले पर आरंग मुख्य नगर पालिका अधिकारी शीतल चंद्रवंशी का कहना है कि झलमला तालाब में मछलियों के मरने की जानकारी पार्षद के माध्यम से मिली थी,निरीक्षण करने पर तालाब में मरी हुई मछलियां पाई गई जिसे तालाब को मछली पालन के लिए ठेका लेने वाले के माध्यम से साफ करवाया गया है।मछलियों की मरने की जांच चल रही है और मछली पालन करने वाले को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।वही तालाब के विकास और सौंदर्यीकरण में ये बात सामने आई है कि तालाब में कार्य अधूरा है और सम्बन्धित ठेकेदार को ज्यादा भुगतान हो गया है जिसकी जांच की जा रही है। ठेकेदार को कार्य जल्दी पूरा करने नोटिस जारी किया है।अगर निर्माण कार्य में आगे भी शिकायत मिलती है तो ठेकेदार के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

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