दिल्ली. क्या आपने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) पंजीकरण कराया है? क्या आप ई-वे बिल की सुविधा का लाभ लेते हैं? क्या आप नियमित समय पर अपना जीएसटी रिटर्न दाखिल करते हैं? यदि नहीं, तो संभव है कि सामानों की ढुलाई के लिए ई-वे बिल जारी करने की आपकी सुविधा छीन जाए.
जीएसटी प्रणाली के लिए सूचना प्रौद्योगिकी ढांचा उपलब्ध कराने वाली कंपनी जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) एक ऐसी प्रणाली विकसित कर रही है जो कारोबारों के जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करने पर नजर रखेगी. ऐसे में यदि कोई कारोबारी दो रिटर्न दौर में जीएसटी रिटर्न यानी छह महीने तक कोई जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करता है तो प्रणाली उसे ई-वे बिल बनाने से रोक देगी.
जल्द से जल्द नई आईटी प्रणाली को लाया जाएगा जो छह माह तक रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों को ई-वे बिल बनाने की सुविधा से वंचित कर दिया जाएगा. इसके लिए नए नियमों को अधिसूचित किया जाएगा. इस प्रणाली से जीएसटी की चोरी रोकने में मदद मिलेगी.
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर अवधि में केंद्रीय कर अधिकारियों ने जीएसटी चोरी या नियम उल्लंघन के 3,626 मामले पाए हैं जिनमें कुल 15,278.18 करोड़ रुपये की राशि शामिल है.
कर चोरी को रोकने के लिए ही एक अप्रैल 2018 को ई-वे बिल की सुविधा शुरू की गई थी. 50,000 रुपये से अधिक का सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजे जाने के लिए ई-वे बिल की सुविधा का उपयोग किया जा सकता है. राज्यों के भीतर ही इस सेवा को शुरू करने के लिए 15 अप्रैल से इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया.