अमृतसर : शिरोमणि कमेटी के सदस्य गुरचरण सिंह गरेवाल ने आज भारत और पाकिस्तान की सरकारों द्वारा किए गए फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री, जो पाकिस्तान भी गए हैं, यह चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच आपसी समझौता बना रहे. इसके साथ ही आपसी शांति बहाल हो और खासतौर पर वाघा बॉर्डर से व्यापार शुरू किया जाए.
सराहना करते हुए गुरचरण सिंह गरेवाल ने कहा कि आज यह खबर मिली है कि भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने इस कॉरिडोर को पांच साल के लिए और बढ़ा दिया है. यह एक अच्छी बात है और इससे बहुत से श्रद्धालुओं को फिर से दर्शन करने का मौका मिलेगा, जो अभी तक इससे वंचित थे. देश के बंटवारे के बाद 24 अक्टूबर 2019 को यह एक महत्वपूर्ण फैसला हुआ था, जिसने सिखों के लिए राहत प्रदान की. भारत और पाकिस्तान सरकारों के बीच करतारपुर साहिब कॉरिडोर से संबंधित एक आपसी समझौता हुआ था, जिसके तहत गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर साहिब के लिए एक कॉरिडोर बनाया गया. यह कॉरिडोर सिखों की प्रार्थनाओं और भावनाओं के कारण ही संभव हो सका है.
SGPC सदस्य गुरचरण सिंह ने कहा कि वह प्रार्थना करते हैं कि इन दोनों देशों के बीच संबंध सुधरें ताकि जहां सिखों की भावनाओं से जुड़े पवित्र स्थलों के दर्शन हो सकें, वहीं पंजाब की धरती भी आर्थिक रूप से खुशहाल और मजबूत हो सके. दोनों देशों के बीच आपसी शांति बहाल होनी चाहिए.

गुरचरण सिंह गरेवाल ने भारत सरकार से अपील करते हुए कहा कि पासपोर्ट की शर्त को हटा दिया जाए. उन्होंने पाकिस्तान से भी अपील की है कि 20 अमेरिकी डॉलर की फीस की शर्त को हटा दिया जाए क्योंकि यह गुरुओं के दर्शन के लिए है. सिख समुदाय ने इस कॉरिडोर के लिए बड़े स्तर पर धनराशि जुटाई है और आगे भी करता रहेगा. उन्होंने कहा कि यात्रियों पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ कम किया जाना चाहिए.
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