रायपुर- सेंट्रल पूल में 24 लाख मीट्रिक टन धान लिए जाने की सीमा बढ़ाकर 32 लाख किये जाने की राज्य शासन की मांग को केंद्र ने ठुकरा दिया है. ऐसी स्थिति में राज्य शासन ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि राज्य के किसानों से 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से एक-एक दाना धान खरीदी के निर्णय पर अमल जारी रहेगा. किसानों को धान के एक-एक दाने का पैसा दिया जाएगा. मंत्रालय में हुई भूपेश कैबिनेट की बैठक में धान खरीदी की मौजूदा स्थिति की समीक्षा के बाद सरकार ने फैसला लिया है कि कस्टम मिलिंग के बाद बचा हुआ चावल नागरिक आपूर्ति निगम के जरिये बेचने की व्यवस्था सरकार करेगी.
कैबिनेट मीटिंग के बाद सरकार के वरिष्ठ मंत्री रविन्द्र चौबे और मो अकबर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर सेंट्रल पूल का कोटा 24 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 32 लाख किये जाने की मांग की थी, लेकिन केंद्र की ओर से आये जवाब में इस मांग को ठुकरा दिया गया है. पिछले साल धान खरीदी के लिए 75 लाख मीट्रिक टन खरीदी का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अभी धान खरीदी के लिए दस दिन का समय बाकी है और अब तक 71 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है. अनुमान है कि इस बार 85 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी होगी. राज्य में 126 लाख मीट्रिक टन धान का कुल उत्पादन होता है, जिसका 71 फीसदी सरकार खरीदती है. केंद्र सरकार और राज्य के पूल में से अरवा चावल की 31 लाख मीट्रिक टन चावल की जरूरत होती है. इसकी अनुमति केंद्र ने दी है. उसना चावल की 24 लाख मीट्रिक टन की जरूरत पड़ती है. मो. अकबर ने कहा कि कुल 68.1 मीट्रिक टन धान की खपत होगी.
कैबिनेट में सरकार ने फैसला लिया है कि 31 जनवरी तक जितना भी धान सोसायटियों में आएगा पूरा खरीदा जाएगा. अनुमान है कि 4.60 लाख मीट्रिक टन धान जो शेष बचेगा उसे नागरिक आपूर्ति निगम के जरिये हम बेहतर उपयोग करेंगे. जरूरत पड़ी तो इसके लिए बजट में प्रावधान किया जाएगा.
मो. अकबर ने कहा कि कैबिनेट ने बोरो की स्थिति को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया है कि पुराने बोर में भी धान खरीदा जाएगा. रविन्द्र चौबे ने कहा कि राइस मिलर्स के रिसाइकिल को लेकर आने वाली शिकायतें पर भी सख्ती से कार्यवाई की जाएगी
जेम से खरीदी बंद, छत्तीसगढ़ खुद का पोर्टल बनाएगी
जेम से खरीदी के निर्णय को सरकार ने बदला. छत्तीसगढ़ क्रय एवं भंडार अधिनियम के तहत कैबिनेट ने फैसला लिया है कि विभागों के जरिये होने वाली खरीदी सीएसआईडीसी के जरिये की जाएगी. छत्तीसगढ़ जेम की तर्ज पर खुद का पोर्टल बनाएगी. इसमें छह महीने का समय लगेगा.
पांचवी अनुसूची वाले इलाकों में स्थानीय
पूर्ववर्ती सरकार ने निर्णय लिया था कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के लिए स्थानीय स्तर पर बेरोजगार युवाओं को ही नौकरी दी जाएगी. तय किया गया था कि जिला कैडर पर भी भर्ती की जाएगी. भूपेश कैबिनेट ने इस निर्णय को दो साल और बढ़ाये जाने का फैसला लिया है. सरगुजा और बस्तर के अलावा कोरबा जिले को भी शामिल किया गया है.