रामेश्वर मरकाम, धमतरी। छत्तीसगढ़ में एक बार फिर आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग उठी है। यह मांग सरकार के मंत्री अजय चंद्राकर की उपस्थिति में उठी है। जिसका वहां उपस्थित सभी लोगों ने एक स्वर में स्वागत किया। यही नहीं कार्यक्रम में मंत्री की उपस्थिति में ही सरकार पर आदिवासी नेताओं ने जमकर निशाना साधा और सरकार की काफी आलोचना भी की। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर धमतरी के भखारा में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में आदिवासी नेताओं के अलावा हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे।
आदिवासियों ने सामाजिक बहिष्कार प्रतिषेध अधिनियम का खुलकर विरोध जताया और इसे सामाजिक परम्परा व आस्था करार दिया । इस दौरान आदिवासियों ने कहा कि आजादी के पहले समाज को जो मूल अधिकार मिले है उसे संविधान ने मान्यता दिया है और ऐसे अधिकारों को बदलने का सरकार को कोई हक नही है।
आदिवासियों ने कहा कि संविधान में भूमि बचाने के लिए कई कानून बनाये गए है और उनका पालन सरकार की नैतिक जवाबदारी है इसके आलावा जितनी आबादी है उतनी हिस्सेदारी प्रजातन्त्र का मापदंड है। लेकिन मौजूदा समय मे सरकार इस जवाबदारी का पालन नहीं कर रही है।
वहीं कार्यक्रम के दौरान गोंडवाना महासभा के प्रदेश अध्यक्ष नवल सिंह मंडावी नेे प्रदेश में आदिवासी मुख्यमंत्री की वकालत की। उन्होंने कहा कि मूल निवासी को प्रदेश की बागडोर देने से ही आदिवासियों का विकास संभव होगा। वहां उपस्थित सभी लोगों ने एक स्वर में इसका समर्थन किया।
सरकार बेहतर काम कर रही
सम्मेलन में मुख्य अतिथि बतौर प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री अजय चंद्राकर भी उपस्थित थे। उन्होंने आदिवासियों के संस्कृति की तारीफ करते हुए आदिवासी संस्कृति और परम्परा को बचाए रखने के लिए शिक्षा और नशामुक्ति पर जोर देने का आव्हान किया और आदिवासी मुख्यमंत्री के मामले में कहा कि डॉ रमन सिंह की सरकार प्रदेश में बेहतर काम कर रही है जिनको प्रदेश की जनता ने 15 सालों के लिए जनादेश देकर सम्मान करती आ रही है।