Supreme Court Hearing on Somnath Buldozer Action: गुजरात (Gujarat) के गिर-सोमनाथ बुलडोजर एक्शन में नया मोड़ आ गया है। एक मुस्लिम संगठन ने जमीन पर दावा किया है। संगठन ने दावा किया कि 1903 में यह जमीन उसे दी गई थी। हालांकि गुजरात सरकार (Gujarat Government) ने दावे को झूठा करार देते हुए सांप्रदायिक रूप देने का आरोप संगठन पर लगाया। गुजरात सरकार ने कहा कहा कि जमीन सोमनाथ ट्रस्ट (Somnath Trust) की थी। ट्रस्ट उसे काफी पहले सरकार को सौंप चुका है। अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई लंबे समय से चल रही थी। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (25 अक्टूबर) को सोमनाथ बुलडोजर एक्शन में सुनवाई हुई।

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दरअसल बता दें कि गुजरात के सोमनाथ मंदिर के आसपास कथित अवैध निर्माण पर इसी साल सितंबर महीने में बुलडोजर चलाया गया था। पटनी मुस्लिम समाज ने 1 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी।

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इस ​​याचिका में गिर सोमनाथ के कलेक्टर और अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की मांग की। याचिका में दरगाह मंगरोली शाह बाबा, ईदगाह, प्रभास पाटन, वेरावल, गिर सोमनाथ में स्थित कई अन्य स्ट्रक्चर के कथित अवैध विध्वंस का हवाला दिया। अवमानना याचिका में मुस्लिम संगठन ने दावा किया कि 1903 में यह जमीन उसे दी गई थी। एक अक्टूबर को न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने बुलडोजर से विध्वंस के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई की थी।

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सरकार के पास ही रहेगा जमीन का कब्जा

मामले में आज (शुक्रवार) को शीर्ष न्यायालय में सुनवाई हुई। इस दौरान गुजरात सरकार ने इस दावे को झूठा करार दिया और कहा कि जमीन सोमनाथ ट्रस्ट की थी। ट्रस्ट उसे काफी पहले सरकार को सौंप चुका है. अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई लंबे समय से चल रही थी। याचिकाकर्ता झूठे दावे कर इसे सांप्रदायिक रूप दे रहा है। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह फिलहाल ज़मीन को अपने पास ही रखेगी। इसे अभी किसी तीसरे पक्ष को नहीं दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि मामले में किसी अंतरिम आदेश की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो याचिकाएं गुजरात हाई कोर्ट में लंबित हैं, हाई कोर्ट उन पर सुनवाई जारी रखे।

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