शिखिल ब्यौहार। भोपाल। मध्य प्रदेश में लंबे समय से खाली पड़े निगम, प्राधिकरण और मंडलों में राजनीतिक नियुक्ति का मुहूर्त ही नहीं निकल पा रहा है। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो अब बीजेपी संगठन चुनाव के साथ नई जमावट के बाद ही नए साल में नेताओं को गद्दी मिलेगी। दरअसल, प्रदेश में कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने नियुक्ति को निरस्त कर दिया था। फिर लोकसभा चुनाव के बाद नियुक्तियों को लेकर सुगबुगाहट शुरू हुई। सरकार, संगठन और संघ ने मंथन भी किया। लेकिन, सूची पर मोहन नहीं लग सकी। हालांकि एक-एक पद के लिए दस-दस दावेदारों की स्थिति बनी हुई है। 

MP By-Election 2024: सपा ने जारी की स्टार प्रचारकों की सूची, अखिलेश-डिंपल यादव समेत ये 20 नेता संभालेंगे चुनावी कमान, देखे लिस्ट

अब चर्चा है कि सरकार उपचुनाव के साथ नई संगठन कार्यकारिणी के बाद ही इन पदों को भरेगी। कारण भी यह बताए जा रहे हैं कि तब तक बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष जिम्मेदारी संभालेंगे और संगठन में नए समीकरण भी बनेंगे। लिहाजा संगठन और सरकार का नया समन्वय ही इन रिक्त पदों को भरने में काम करेगा। दूसरा कारण यह भी वर्तमान बीजेपी संगठन के ढांचे के मुताबिक सियासतदारों को पदों से उपकृत करने में फिलहाल फायदा नहीं है। 

मंदसौर गोलीकांड: हाईकोर्ट ने पूर्व कांग्रेस विधायक की जनहित याचिका की खारिज, सार्वजनिक नहीं होगी जांच रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव के ठीक बाद इन पदों पर नियुक्तियों को लेकर बैठकों का दौर भी चला था। लेकिन, सियासी उठापटक और अन्य राज्यों में चुनाव के चलते बात आगे बढ़ा दी गई। सुगबुगाहट के चलते भोपाल से लेकर दिल्ली तक नेताओं के कई चक्कर लगे। कई वरिष्ठ नेताओं ने भी अपने समर्थकों को पद दिलाने की सिफारिश मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश संगठन स्तर पर की थी। हालांकि बीते दिनों विभागीय मामला होने के कारण नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला ने ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष पद का कार्यभार ग्रहण किया। 

मामले पर बीजेपी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में सदैव कार्यकर्ताओं का मूल्यांकन किया जाता है। इस आधार पर जिम्मेदारी तय की जाती है। मध्य प्रदेश में सदस्यता अभियान को भारी सफलता मिली। लोकसभा चुनावों में भी कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त काम किया। इन तमाम कवायद के मद्देनजर उन्हें निश्चित ही पार्टी द्वारा आगे अवसर दिया जाएगा। जनप्रतिनिधियों के कामों का मूल्यांकन ही नई जिम्मेदारी का आधार होगा। 

मामले को लेकर कांग्रेस का अलग मनाना है। कांग्रेस ने दावा किया कि बीते चुनावों में कांग्रेस के कई नेताओं को लोभ लालच देकर कई नेताओं को अन्य दलों से बीजेपी में शामिल किया गया। प्रलोभन की तब हुई सियासत वर्तमान पर भारी पड़ रही है। ऐसे में राजनीतिक नियुक्ति करने में सरकार और संगठन के पसीने छूट रहे हैं।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m