शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को पत्र लिखकर PACL कंपनी की ओर से फर्जी तरीके से जमीनों के हस्तानांतरण को लेकर पत्र लिखा है। पूर्व सीएम ने लिखा कि मध्यप्रदेश में किसानों की जमीन के लघु से सीमांत किसानों के साथ किए गए जमीन घोटाले की शासन स्तर से पत्र में उल्लेखित बिन्दुओं पर जांच कराने के निर्देश देने का कष्ट करें। साथ ही राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में किसानों का पक्ष रखकर उनकी जमीनों को कंपनी के चुंगल से मुक्त कराने की तत्काल पहल करना चाहिये।

दिग्विजय सिंह ने पत्र में क्या लिखा?

दिग्विजय सिंह ने सीएम डॉ. मोहन यादव को पत्र में लिखा, “मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों में हजारों किसानों की जमीनें फर्जी तरीके से खरीदी जाने का एक गंभीर मामला में आपके ध्यान में लाना चाह रहा हूँ। विगत एक दशक के दौरान पी.ए.सी.एल. नामक कंपनी और उसकी सह कंपनियों ने मध्यप्रदेश शासन के राजस्व विभाग एवं पंजीयक मुद्रांक विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर हजारों करोड़ रूपये कीमत की जमीनों की फर्जी रजिस्ट्री करवाई है। गरीब किसानों से जुड़े इस मामले में राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर किसानों को न्याय दिलाने के लिये तत्काल पहल करनी चाहिये।”

फर्जी तरीकों से जमीनें खरीदने का खेल 35 जिलों में खेला गया

“सेबी द्वारा 2014 से प्रतिबंधित कंपनी पी.ए.सी.एल. से पीड़ित किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने गत दिवस किसान नेता केदार सिरोही के साथ आकर मुझे अपनी वेदना बताई। किसानों का कहना है कि उन्होंने कंपनी को कभी जमीनें बेची ही नहीं है। जबकि रजिस्ट्रार ऑफिस में उनकी जमीनों की कंपनी के नाम से रजिस्ट्री हो गई है। फर्जी तरीकों से जमीनें खरीदने का यह खेल प्रदेश के करीब 35 जिलों में खेला गया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सीहोर जिला भी इससे अछूता नहीं रहा। उनके विधानसभा क्षेत्र बुधनी की रहटी तहसील के अनेक ग्रामों के किसानों की जमीनों की खरीदी-बिकी हो गई और भूमि स्वामियों को कोई खबर भी नहीं लगी।”

कलेक्टर्स की खामोशी बड़ा घोटाला होने की पुष्टि करती है

“पी.ए.सी.एल. कंपनी द्वारा विवादस्पद तरीके से खरीदी गई जमीनों का मामला सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस आर.एम. लोबा की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है। यह कमेटी प्रदेश के भूमि घोटाले से जुड़े कलेक्टर्स से इस संबंध में कई सालों से सतत् पत्राचार भी कर रही है। इस कमेटी ने कंपनी द्वारा खरीदी गई जमीनों की जानकारी के संबंध में जब गुना, इन्दौर, आगर मालवा, अनूपपुर, सिवनी, दतिया, ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, राजगढ़, और शाजापुर जिला कलेक्टर्स से पत्राचार किया, तो 2016 से लेकर 2023 तक इन जिलों से कोई उत्तर नही दिया गया। इन कलेक्टर्स की खामोशी बड़ा घोटाला होने की पुष्टि करती है। इसी संदर्भ में सीहोर जिले के कलेक्टर ने जिला पंजीयक से जांच कराई तो चौकाने वाली जानकारी सामने आई। जिला पंजीयक ने जांच में बताया कि 48 जमीनों की रजिस्ट्री का कार्यालय में कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। जमीनें अभी भी किसानों के नाम पर दर्ज है। जबकि कंपनी इन जमीनों पर अपना दावा कर रही है।”

किसानों को इस घोटाले की भनक तक नहीं लगी

“मुख्यमंत्री जी, इसी प्रकार आपके उज्जैन संभाग के आगर मालवा और शाजापुर जिले के दो मामले आपके संज्ञान में ला रहा हूं। आगर मालवा जिले की नलखेड़ा तहसील के 300 किसानों की जमीनों की पी.ए.सी.एल. नामक कंपनी ने राजस्व और पंजीयक विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर रजिस्ट्री कर ली। किसानों को इस घोटाले की भनक तक नहीं लगी। लोढ़ा समिति ने जब किसानों की जमीनों की खरीदी बिक्री पर रोक लगाई तब किसानों को इस धोखाधड़ी का पता चला।
किसानों ने कंपनी को कभी भी जमीन नहीं बेची है

“कुछ किसानों ने फर्जी रजिस्ट्री कराने को लेकर कंपनी के खिलाफ आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो में शिकायत की। विस्तृत जांच के बाद ई.ओ.डब्ल्यू, उज्जैन के एस.पी. ने कंपनी के पदाधिकारियों सहित तहसीलदार नलखेड़ा, पटवारी, उप पंजीयक, स्टाम्प वेंडर एवं गवाहों सहित 24 लोगों के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471 एवं 120 बी के तहत मामला दर्ज किया। आगर मालवा के बाद शाजापुर जिले की कालापीपल तहसील के ग्राम फरड निवासी हरिओम परमार और प्रदीप परमार ने लिखित शिकायत में बताया कि उनकी कृषि भूमि को भी बेचा जाना बताया गया है। गांव के अनेक किसानों की जमीनों को बेचे जाने एवं नामांतरण पर रोक लगाई गई है। इन किसानों ने कंपनी को कभी भी जमीन नहीं बेची है।”

 सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर किसानों को न्याय दिए जाने के लिए पहल करनी चाहिए

“मेरा आपसे अनुरोध है कि कंपनी की परिसम्पत्तियों के मामले में उच्चतम न्यायालय ने 02 फरवरी 2016 को निर्देश देकर एक कमेटी गठित की है। इसलिये मध्यप्रदेश सरकार को 35 जिलों के पीड़ित किसानों के हक में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर किसानों को न्याय दिये जाने के लिये पहल करनी चाहिए।”

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से 6 मांग

दिग्विजय सिंह ने सीएम डॉ. मोहन यादव से 6 मांग की 

 (1) जमीन घोटाले में शामिल जिलों के कलेक्टर्स से कृषि भूमि खरीदी बिकी के प्रत्येक प्रकरण की जांच कराई जाकर प्रतिवेदन लिया जाना चाहिए।
(2) सभी किसानों के कथन लेकर उनको पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए।
(3) धोखाधड़ी पाये जाने पर दोषी अधिकारियों, कंपनी डायरेक्टर्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए।
 (4) जिन किसानों की जमीनों के नामांतरण, बंटवारे, खरीदी बिक्री पर रोक लगाई गई है। उनकी जांच कराई जाकर रोक हटाई जाना चाहिए। 

(5) प्रत्येक जिले में पी.ए.सी.एल. कंपनी से पीड़ित किसानों की सुनवाई के लिये पृथक से प्रकोष्ठ गठित किया जाए।(6) राज्य स्तर से भारतीय प्रशासनिक सेवा के किसी वरिष्ठ अधिकारी की अध्यक्षता में एक प्रकोष्ठ गठित किया जाये जो कलेक्टर्स से लेकर सेबी और सुप्रीम कोर्ट तक राज्य शासन का पक्ष रखे।

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