नरेश शर्मा, रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के घरघोड़ा ब्लॉक में करंट की चपेट में आने से 26 अक्टूबर को एक ही परिवार के तीन हाथियों की मौत हो गई थी. वन विभाग ने इन तीनों हाथियों के शवों को चुहकीमार नर्सरी में दफना दिया था. लेकिन इस घटना के बाद जो मार्मिक दृश्य सामने आया है, वह वन्य जीवों कि संवेदनशीलता को उजागर कर रहा है.
हाथियों के दफन स्थल पर चार दिन बाद उनके साथी हाथियों का झुंड इकट्ठा हो गया है, मानो वे अपने साथियों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे हों. वन विभाग के ड्रोन कैमरों ने इस दृश्य को कैद किया, जिसमें दर्जनों हाथी अपने मृत साथियों के दफन स्थल पर एकत्रित होते दिख रहे हैं. इस भावुक दृश्य की पुष्टि रायगढ़ जिले की डीएफओ स्टाईलो मंडावी ने भी की है.
इलाके में लगभग 35 हाथियों का झुंड मौजूद है, जो घरघोड़ा के कचकोबा इलाके के अलावा चुहकीमार के जंगलों में भी मौजूद हैं. वन विभाग की ओर से आए वीडियो में देखा जा सकता है कि दफनाए गए हाथियों के पास हाथी पहुंचे हुए हैं और श्रद्धांजलि दे रहे हैं, जिसे देखकर आपका दिल भी पसीज जाएगा.
करीबियों की मौत पर हाथी जताते हैं शोक – नितिन सिंघवी
हाथी विशेषज्ञ नितिन सिंघवी बताते हैं कि हाथियों का यह स्वभाव होता है कि जब भी किसी सदस्य की मौत हो जाती है, तो जिस जगह पर उसकी मौत हुई है, उसकी हड्डी पड़ी रहती है, वहां से जब भी गुजरते हैं, वह रुककर सूंघता है, समझता है, जो एक प्रकार के उसका शोक जताने का तरीका है. अफ्रीका में अक्सर ऐसा देखा जाता है, क्योंकि वहां हाथियों को गाड़ने का प्रचलन नहीं है.
हमारे यहाँ पर भी अगर किन्हीं जंगलों में हाथी मर जाएगा और ऐसी हड्डी रह जाएगी तो वो हाथी वहां पर भी आएंगे. अब दूसरी बात कि विशेष रूप से उसी परिवार के सदस्य की जब डेथ होती है, तो वो शोक में बहुत समय तक उसकी बॉडी के आसपास ही रहते हैं. बच्चों की मौत पर मादा हाथी तो कई बार दो-दो दिन तक उसके शव के पास खड़ी रहती है.
अभी की घटना में जो हाथी मरे हुए हाथियों की कब्र के पास पहुंचे हैं, वे उनके पांव के निशान को देखते हुए या फिर अंदर से आ रही उनके स्मेल को सूंघकर पहुंचे हैं, क्योंकि हाथियों की सूंघने की क्षमता बहुत अच्छी होती है.
अब सवाल यह है कि तीनों हाथी मरे कैसे? अगर करंट लगने से पहले हाथी की मौत होते ही लाइन ट्रिप हो जाता. लेकिन तीनों चिपक-चिपक कर चल रहे होंगे, जिसकी वजह से एक साथ तीनों की मौत हो गई होगी. मरने वाली तीनों मादा हाथी हैं. इनमें से एक 10 साल की मादा हाथी थी, जो मां की बड़ी बेटी भी हो सकती है. यह बड़ी बेटी छोटे बच्चों को संभालने का काम करती है, जिससे मां को समय मिल सके.
रहा सवाल हाथियों का झुंड कितने समय तक मरे हुए हाथियों की कब्र के पास रहेगा, तो हाथी नई-नई जगह चला जाता है. ऐसे में अब जो हाथियों के समूह को लीड करने वाली मादा रहती है, जिसे हम मेटरीआर्च कहते हैं, उसको भी शोक हो रहा है, लेकिन उसको अपने पूरे परिवार को खाना खिलाना है, पानी पिलाना है, इसलिए वो उसको नई जगह ले जाएगी परिवार को और उसका कहना मान कर सब लोग चले जाएंगे.
बता दें कि बीते 26 अक्टूबर को रायगढ़ जिले में करंट की चपेट में आने से एक ही परिवार के तीन हाथियों की मौत हो गई थी. इस मामले में हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए DFO को तलब किया है. इस मामले में अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी. वहीं रायगढ़ वन मंडल की डीएफओ ने मामले में कार्रवाई करते हुए एक बीटगार्ड को सस्पेंड कर दिया है, जबकि डिप्टी रेंजर के निलंबन के लिए सीसीएफ बिलासपुर को भेजे गए अनुशंसा पत्र के बाद सस्पेंड किया गया है. वहीं बिजली विभाग के जेई को नोटिस भेजा गया है.
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