Shardiya Navratri 2025:  रायपुर. छत्तीसगढ़ में एक मात्र लक्ष्मीजी का प्राचीन मंदिर इकबीरा पहाड़ी रतनपुर कोटा मार्ग पर स्थित है. धन वैभव, सुख, समृद्धि व ऐश्वर्य की देवी मां महालक्ष्मी का यह प्राचीन मंदिर हजारों-लाखों भक्तों के आस्था का प्रमुख केंद्र है. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से करीब 25 किमी दूर रतनपुर में देवी लक्ष्मी का प्राचीन मंदिर है. देवी मां महालक्ष्मी का ये प्राचीन मंदिर करीब 800 साल से ज्यादा पुराना माना जाता है.

Shardiya Navratri 2025:  ये मंदिर लखनी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है. लखनी देवी शब्द लक्ष्मी का ही अपभ्रंश है, जो साधारण बोलचाल की भाषा में रूढ़ हो गया है. इस मंदिर का निर्माण कल्चुरी राजा रत्नदेव तृतीय के मंत्री गंगाधर ने साल 1179 में कराया था. मंदिर के बनते ही अकाल व महामारी राज्य से खत्म हो गई और सुख, समृद्धि, खुशहाली फिर से लौट आई. इस मंदिर की आकृति शास्त्रों में वर्णित पुष्पक विमान की तरह और इसके अंदर श्रीयंत्र उत्कीर्ण है. (Mahalakshmi Lakhni Devi Mandir, Ratanpur)

हर गुरुवार को विशेष पूजा होती है

छत्तीसगढ़ में मार्गशीर्ष महीने के हर गुरुवार को देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. हर गुरुवार को यहां देवी की विशेष पूजा होती है और दर्शन के लिए कई भक्त आते हैं. दिवाली के दिन जहां 252 सीढ़ी चढक़र हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. दीपावली के दिन मंदिर में पुजारी माता की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार कर विधि विधान से पूजा-अर्चना करते हैं. (Mahalakshmi Lakhni Devi Mandir, Ratanpur)

मां अष्टदल कमल पर विराजमान

प्राचीन मान्यता के मुताबिक महालक्ष्मी देवी की मंदिर का निर्माण शास्त्रों में बताए गए वास्तु के अनुसार कराया गया है. यह मंदिर पुष्पक विमान जैसे आकार का है. मंदिर के अंदर श्रीयंत्र भी बना है, जिसकी पूजा-अर्चना करने से धन-वैभव और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. लखनी देवी का स्वरूप अष्ट लक्ष्मी देवियों में से सौभाग्य लक्ष्मी का है. जो अष्टदल कमल पर विराजमान है. सौभाग्य लक्ष्मी की हमेशा पूजा-अर्चना से सौभाग्य प्राप्ति होती है, और मनोकामनाएं भी पूरी होती है.