अजय नीमा, उज्जैन। मध्य प्रदेश की धर्म नगरी उज्जैन में गोवर्धन पूजा के दिन सुबह गौरी का पूजन किया गया। इसके बाद ग्रामीण जमीन पर लेटे और उनके ऊपर से कई गायों को दौड़ाया गया। यह मंजर देख कई लोगों की सांसे थम गई। दरअसल, आज के दिन अनोखी परंपरा निभाई जाती है। जिसमें सैंकड़ों गायें, लोगों को रौंदते हुए निकलती हैं। यह किसी मौत के खेल से कम नहीं है। लेकिन फिर भी सालों से चली आ रही इस प्रथा में सैंकड़ों लोग हिस्सा लेते हैं।
बडनगर ग्राम भिडावद 3 में गोवर्धन पूजा पर निभाई जाती है अनोखी परंपरा
उज्जैन जिले के बड़नगर तहसील के भिडावद 3 गांव में दीपावली के दूसरे दिन यानि गोवर्धन पूजा के दिन अनोखी परंपरा है। जिसमें पहले एक गली में बड़ी संख्या में गायों को रोक कर रखा जाता है। उसके बाद लोग जमीन पर लेट जाते हैं और एक साथ सभी को छोड़ दिया जाता है। गाय लेटे हुए लोगों के ऊपर से निकलती है।
मन्नत पूरी होने पर इसमें भाग लेते हैं ग्रामीण
ऐसी मान्यता है कि “गौ माता किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती है। यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है। आज शनिवार को इसी प्रथा को निभाया गया। मन्नत पूरी होने पर ग्रामीण हर साल इस परंपरा में भाग लेते हैं। इस दौरान उपवास रखने वाले ग्रामीण 5 दिन मंदिर में रहकर भजन-कीर्तन करते हैं और आखिरी दिन जमीन पर लेट जाते हैं। इसके बाद ग्रामीणों के ऊपर से एक साथ सैकड़ों दौड़ती गायों को निकाला जाता है।
मौत के खेल की परंपरा में आज तक नहीं हुई जनहानि
गांव में मान्यता है कि ऐसा करने से गांव में खुशहाली आती है। जिन लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है वे इस मौत के खेल का हिस्सा बनते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि “गाय में 33 कोटि के देवी देवताओं का वास रहता है और गाय के पैरों के नीचे आने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है। आज तक कोई भी जनहानि नहीं हुई है।
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